17 नवम्बर से वर्कशॉप-डेमो श्रृंखला में प्रतिभाशाली युवा नृत्यांगनाएँ देंगी प्रदर्शन
श्रीनगर और पौड़ी के विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा से परिचित कराने के लिए SPIC MACAY 17 नवम्बर से दोनों शहरों में वर्कशॉप-डेमोंस्ट्रेशन श्रृंखला आयोजित कर रहा है।
इस आयोजन में दो युवा और प्रतिभावान शास्त्रीय नृत्यांगनाएँ कुचिपुड़ी कलाकार सूपर्णिका नांबियार और भरतनाट्यम नृत्यांगना वैष्णवी धोरे अपनी प्रस्तुति देंगी। यह पहल छात्रों को न केवल नृत्य की तकनीक बल्कि इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से भी अवगत कराएगी।
केरल की सूपर्णिका नांबियार पिछले 11 वर्षों से सुप्रसिद्ध गुरु श्रीलक्ष्मी गोवर्धनन के निर्देशन में कुचिपुड़ी का प्रशिक्षण ले रही हैं।
उन्हें CCRT की “यंग आर्टिस्ट स्कॉलरशिप” और दूरदर्शन की ‘बी’ ग्रेड कलाकार का सम्मान प्राप्त है।
उन्होंने भारत सहित जर्मनी, कोरिया और अन्य देशों में अपने नृत्य का प्रदर्शन किया है। उनकी कुचिपुड़ी शैली में भाव, गति और पारंपरिक अभिव्यक्ति का सुंदर संतुलन देखने को मिलता है, जो छात्रों के लिए प्रेरणादायक होगा।
वहीं, महाराष्ट्र की वैष्णवी धोरे वरिष्ठ नृत्यांगना रमा वैद्यनाथन की शिष्या हैं। उन्होंने भरतनाट्यम में परास्नातक किया है और दूरदर्शन की ग्रेडेड कलाकार भी हैं। वैष्णवी ने भारत सहित सिंगापुर, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, कनाडा और अमेरिका में अपने नृत्य प्रस्तुत किए हैं।
उनके प्रदर्शन में लय, भाव और शास्त्रीय अभिव्यक्ति का गहरा संतुलन होता है, जो विद्यार्थियों को भारतीय नृत्य की जटिलताओं और सौंदर्य से परिचित कराएगा।
जानें क्या है SPIC MACAY
SPIC MACAY की यह पहल युवाओं को भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के गहन अनुभव से जोड़ने के उद्देश्य से की जा रही है।
यह संस्था एक गैर-लाभकारी, स्वयंसेवक-आधारित संगठन है, जिसकी स्थापना 1977 में पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने की थी, जो IIT दिल्ली के प्रोफेसर रह चुके हैं।
SPIC MACAY का लक्ष्य भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य, योग, कला, पारंपरिक शिल्प और संस्कृति को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाना है।
संस्था का नेटवर्क देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, IITs, IIMs और विश्वविद्यालयों तक फैला हुआ है, साथ ही विदेशों में भी इसकी शाखाएँ सक्रिय हैं, जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, कंबोडिया, जर्मनी, सिंगापुर, फ्रांस और पोलैंड।
SPIC MACAY के माध्यम से नई पीढ़ी तक भारतीय संस्कृति और मूल्यों को पहुँचाने का कार्य जारी है।
इस वर्कशॉप-डेमो श्रृंखला से श्रीनगर और पौड़ी के विद्यार्थी न केवल भारतीय शास्त्रीय नृत्य के विविध आयामों से अवगत होंगे, बल्कि कलाकारों के अनुभवों और उनके मंचीय प्रदर्शन से भी प्रेरणा प्राप्त करेंगे।
यह कार्यक्रम छात्रों के भीतर कला, अनुशासन और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा।










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