मानवाधिकार आयोग का नोटिस
मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडप में वीआईपी दर्शन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र सरकार और मंडल के पदाधिकारियों से जवाब माँगा है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि यह व्यवस्था आम भक्तों के मौलिक अधिकारों का हनन करती है।
आयोग का हस्तक्षेप
मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अनंत बदर की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के बाद महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुंबई पुलिस आयुक्त और बीएमसी आयुक्त को नोटिस जारी किया गया।
आयोग ने छह हफ्तों में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। साथ ही, लालबाग सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के अध्यक्ष और सचिव से भी स्पष्टीकरण माँगा गया है।
क्या है विवाद
हर साल गणेशोत्सव के दौरान लालबागचा राजा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु कतारों में घंटों इंतजार करते हैं। लेकिन मंडल द्वारा वीवीआईपी के लिए अलग कतारें बनाई गईं, जिससे आम भक्तों में असंतोष है।
- आम भक्तों का आरोप है कि उन्हें 8-10 घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद भी ठीक से दर्शन नहीं मिलते।
- वीआईपी दर्शन खास मेहमान आराम से, बिना प्रतीक्षा, सीधे मूर्ति के पास पहुँच जाते हैं।
- हाल ही में कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें भीड़ में धक्का-मुक्की और झड़पें दिखीं।
- सुरक्षा और भगदड़ का खतराशिकायत में कहा गया है कि लाखों लोगों की भीड़ के लिए उचित सुरक्षा प्रबंधन नहीं है।
- संकरी गलियों से होकर गुजरने की मजबूरी से भगदड़ का खतरा बढ़ता है।
- महिलाओं और दिव्यांग श्रद्धालुओं के साथ सुरक्षा गार्डों की बहस के कई मामले सामने आए हैं।
- मांग की गई है कि प्रशिक्षित सुरक्षा गार्ड और बेहतर भीड़ प्रबंधन प्रणाली लागू की जाए।
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