काश्तकारों में बढ़ी चिंता
मौसम की बेरुखी से फसलें प्रभावित
ऊखीमठ। केदार घाटी में दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक भी बारिश न होने से काश्तकारों की
गेहूं की फसल चौपट होने की कगार पर है।
लगातार सूखे और ठंडी हवाओं ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
खेत–खलिहानों में नमी के बजाय धूल उड़ रही है, जिससे फसलें कमजोर पड़ रही हैं।
जल स्रोतों का जल स्तर लगातार गिर रहा
मौसम की बेरुखी के कारण प्राकृतिक जल स्रोतों का जल स्तर तेजी से घट रहा है।
स्थानीय लोग आशंका जता रहे हैं कि मई–जून में कई क्षेत्रों में पेयजल संकट गहरा सकता है।
जल संस्थान के अवर अभियंता बीरेन्द्र भंडारी ने कहा कि बारिश न होने से हालात बिगड़ रहे हैं
और जल संकट से इनकार नहीं किया जा सकता।
कई इलाकों में अभी तक नहीं हुई बुवाई
कुछ क्षेत्रों में किसान अब तक गेहूं की बुवाई भी शुरू नहीं कर पाए हैं। जिन इलाकों में बुवाई हुई है,
वहां पर्याप्त नमी न होने से पौधों में नई ऊर्जा नहीं आ पा रही।
इससे गेहूं, जौ, सरसों, मटर और हरी सब्जियों की फसलें प्रभावित हो रही हैं।
काश्तकारों की चिंताएं बढ़ीं
मदमहेश्वर घाटी के बष्टी गांव के काश्तकार बलवीर राणा ने बताया कि दिसंबर में
खेतों में हमेशा ओस या पाले की नमी रहती थी,
लेकिन इस बार खेतों में धूल उड़ रही है। यह आने वाले समय के लिए शुभ संकेत नहीं है।
पाली सरणा गांव की काश्तकार प्रेमलता पंत ने कहा कि
काश्तकार लगातार आसमान की ओर उम्मीद लगाए बैठे हैं,
लेकिन बारिश न होने से उनकी चिंता बढ़ रही है।
जलवायु परिवर्तन का बढ़ता असर
पूर्व जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर हर साल बढ़ रहा है,
और यह स्थिति भविष्य के लिए खतरे का संकेत है।
मौसम में अनियमितता के कारण खेती लगातार मुश्किल होती जा रही है।

















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