उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार दरारें और भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं। जोशीमठ और तोता घाटी के बाद अब नैनीताल की ऐतिहासिक माल रोड पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने लगी हैं।
ये दरारें न सिर्फ हादसे का कारण बन सकती हैं बल्कि नैनीताल की जीवन रेखा कही जाने वाली इस सड़क के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
माल रोड पर ग्रैंड होटल के समीप सड़क में गहरी दरार पड़ने के बाद लोक निर्माण विभाग ने सड़क पर यातायात को प्रतिबंधित कर दिया है। अपर माल रोड पर अब वाहनों का दबाव बढ़ गया है।
स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि 2018 में माल रोड का 50 मीटर हिस्सा नैनी झील में गिरने के बाद भी विभाग ने स्थायी समाधान नहीं निकाला।
विभाग केवल दरारों पर डामर डालकर खानापूर्ति करता रहा। इसके चलते अब बार-बार सड़क पर दरारें पड़ रही हैं।
डीएम ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट
नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि माल रोड, हल्द्वानी और भवाली मार्गों पर हो रहे भूस्खलन की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई है। हाल ही में केंद्र की टीम ने निरीक्षण किया था और बजट की मांग रखी गई है।
स्थानियों का कहना है कि, ग्रैंड होटल के पास 2018 में भूस्खलन होने के बाद भी विभाग ने ठोस कार्यवाही नहीं की। अब दरारें अन्य हिस्सों तक फैल रही हैं।
आने वाले पर्यटन सीजन में माल रोड पर वाहनों का दबाव और बढ़ेगा जिससे खतरा और गंभीर हो सकता है।
ऐतिहासिक महत्व रखती है माल रोड
माल रोड का निर्माण अंग्रेजों ने 1846 में कराया था। यह नैनीताल के मल्लीताल और तल्लीताल को जोड़ती है और शहर की लाइफलाइन मानी जाती है।
पर्यटक यहां टहलते हुए नैनी झील का दीदार करते हैं। इसका आधिकारिक नाम उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है।

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