राजधानी दिल्ली जैसी धुंध, देहरादून भी “पॉल्यूशन ज़ोन” बनता जा रहा है
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वायु गुणवत्ता आज फिर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। लाइव डेटा के मुताबिक शहर का Air Quality Index (AQI) 177 दर्ज हुआ है, जो “Unhealthy” श्रेणी में आता है।
बहुत कम समय पहले तक स्वच्छ हवा और शांत वातावरण वाले देहरादून के लिए यह स्थिति भय की घंटी है- खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोगों के लिए।
आंकड़े बयां कर रहे हैं हवा में ज़हर
- हाल ही में Doon University की पर्यावरण रिपोर्ट में भी चेतावनी दी गई थी कि शहर की वायु गुणवत्ता कई बार “Very Poor / Unhealthy” रहे।
- अकेले अक्टूबर–नवंबर में AQI 200–260 के बीच दर्ज हुआ — जो “Unhealthy to Severe Pollution” की श्रेणी है।
क्या वजह है प्रदूषण की
विशेषज्ञों के अनुसार, देहरादून में वायु प्रदूषण बढ़ने की वजहें ये हैं:
- खुली места पर कचरा जलाना और biomass burning
- बढ़ता ट्रैफिक, पुराने डीजल वाहन, construction dust
- विनीकरण (ventilation) की कमी — हवा ठंडी होने से और wind speed कम होने से
- बार-बार हो रहे फ़ायरवर्क्स, शादी-समारोहों में तंदूर और heavy fuel burning
इन सबने मिलकर हवा को जहरीला बना दिया है।
स्वास्थ्य अलर्ट
डॉक्टरों के अनुसार इस स्तर की वायु गुणवत्ता से सांस संबंधी बीमारियाँ, एलर्जी, आंखों में जलन, दमा (asthma) और अन्य फेफड़ों, दिल से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और दमा/लंग डिजीज वाले मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे जरूरी काम के अलावा बाहर न निकलें, मास्क पहनें, और घर के अंदर एयर प्यूरीफायर/ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें।
सरकार और प्रशासन को अलार्म
इसे सिर्फ “सीजनल स्पाइक” मत समझिए, अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो देहरादून भी बड़े शहरों की तरह वायु प्रदूषण के जाल में फँस सकता है।
ज़रूरी कदम हो सकते हैं:
- खुले में कचरा जलाने पर पूर्ण रोक और सख्त निगरानी
- पुराने डीजल वाहनों की जाँच और emission standard लागू करना
- सड़क धूल नियंत्रित करने के लिए नियमित पानी छिड़काव (water-sprinkling)
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, private heavy vehicles को कंट्रोल
- pollution alerts और real-time AQI सूचना का सार्वजनिक पोर्टल















Leave a Reply