श्रीनिवास पोस्ती
बद्री केदार मन्दिर समिति निवर्तमान सदस्य श्रीनिवास पोस्ती ने कहा कि महा कुंभ मेला रीति-रिवाज़ों से जुड़ा एक विशाल आयोजन होता है, जिसमें स्नान समारोह सबसे महत्वपूर्ण होता है।
त्रिवेणी संगम में करोड़ो तीर्थयात्री इस पवित्र प्रथा में हिस्सा लेने के लिए एक साथ एकत्रित होते हैं। लोगों का यह मानना है कि इस पवित्र जल में डुबकी लगाने से वे अपने सभी पापों से मुक्त होते हैं और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर सकते हैं, अंततः मोक्ष या आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि महाकुंभ उत्सव भारत की भव्यता और आध्यात्मिक जीवंतता का प्रमाण है। इस वर्ष महाकुंभ उत्सव ने 23, जनवरी 2025 तक सफलतापूर्वक 10 करोड़ से अधिक भक्तों और आगंतुकों को प्रयागराज में आकर्षित किया है।
महाकुंभ 2025 ने भागीदारी, बुनियादी ढांचे और वैश्विक आवभगत में नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। वहीं 10 करोड़ आगंतुकों के साथ इस कार्यक्रम ने न केवल इसके धार्मिक महत्व की पुष्टि की है, बल्कि अद्वितीय योजना और कार्यान्वयन के साथ एक मेगा-इवेंट की मेजबानी करने की भारत की क्षमता का भी अदभुत प्रदर्शन किया है।
महाकुंभ आस्था, एकता और सांस्कृतिक भव्यता का एक प्रकाश स्तंभ बना हुआ है तथा अब तक 2025 महाकुम्भ अनेकानेक विशेषताओं से युक्त हो चुका है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ के त्रिवेणी संकुल पहुंचे।
यहां पर उनके द्वारा की गई कैबिनेट मंत्रियों के साथ महाकुंभ को लेकर स्पेशल मीटिंग, इस मीटिंग के लिए यूपी कैबिनेट के सभी 54 मंत्रियों को बुलाया गया था, जिसमें कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई।
मीटिंग के बाद पूरी कैबिनेट ने संगम में डुबकी लगाई और गंगा पूजन किया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, मैं पूरे मंत्रिपरिषद की ओर से महाकुंभ में आए हुए तमाम संतो और श्रद्धालुओं का स्वागत करता हूं।
पहली बार महाकुंभ में पूरा मंत्रिपरिषद मौजूद है। प्रदेश के विकास से जुड़े हुए मुद्दों पर चर्चा हुई है। जहां एक ओर श्रद्धालओं द्वारा संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर रहे है।
वहीं, दूसरी तरफ श्रदालुओं को अद्भुद संतों के दर्शन करने का भी परम सौभाग्य प्राप्त हो रहा है, जिसमें सभी अखाड़ों के दिव्य सन्त जिसमें नागा, अघोरी, वैष्णव, और साक्षात शंकर चारों पीठों के शंकराचार्य उपिस्थित है ।
जैसे कि वेद शास्त्रों में लिखा गया है कि *साधूनां दर्शनं पुण्यं तीर्थभूता हि साधवः । कालेन फलते तीर्थं सद्यः साधुसमागमः। अर्थात साधुओं का दर्शनमात्र भी पुण्यप्रद है, क्योंकि साधु साक्षात् तीर्थरूप होते हैं। तीर्थ के लिए लम्बी यात्राएँ करनी पड़ती हैं, परन्तु साधुओं का दर्शन और सङ्गति तो तुरन्त फल प्रदान करती है।
तिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा धर्म संसद किया गया है जिसमें सनातन धर्मावलम्बियों के द्वारा सनातन धर्म से जुड़े प्रश्न पूछे जा रहे है।
सनातन धर्म की अविरलता ,अनन्तता, एवमं व्यापकता को लेकर मनावोपयोगी चर्चाएं की जा रही। यह महाकुम्भ पूरे विश्व को सनातन धर्मावलम्बियों के एकता, अडिगता एवम अखण्डता का संदेश दे रहा है।
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