हल्द्वानी में भाई का शव गाड़ी की छत पर बांध कर घर ले जाने की मजबूर बहन की खबर ने सरकार को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक में अविलंब एक मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने के निर्देश दिए हैं जिससे अब पैसा न होने की स्थिति में जिलाधिकारी शवों को एंबुलेंस से घर तक पहुंचाने के लिए जरूरतमंदों की मदद करेंगे।
इसके अलावा जरूरतमंदों को समय पर एंबुलेंस और एयर एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध होगी। सीएम धामी ने कहा कि जरूरतमंदों को यह पता होना चाहिए कि आवश्यकता होने पर वे एयर एंबुलेंस की सुविधा कैसे ले सकते हैं?
एसओपी में ये सारे बिंदु स्पष्ट किए जाएं। उन्होंने अस्वस्थता के कारण किसी मृतक व्यक्ति के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारीजनों द्वारा मृतक के दाह संस्कार में कठिनाई व्यक्त करने पर आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए। मृतक व्यक्ति के दाह संस्कार की व्यवस्था संबंधित जिलों के जिलाधिकारी अपने स्तर से सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने कहा कि मृतक व्यक्ति के शव को अपने घर तक पहुंचाने के लिए आर्थिक समस्या होने पर एंबुलेंस के माध्यम से शव को घर तक पहुंचाने की व्यवस्था भी जिलाधिकारी अपने स्तर से करेंगे।

जानें क्या है पूरा मामला
पिथौरागढ़ जिले से इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। यहां एक गरीब युवती को अपने भाई के शव को 195 किलोमीटर दूर अपने गांव तक ले जाने के लिए टैक्सी की छत पर बांधना पड़ा। शिवानी (22) नामक युवती अपने छोटे भाई अभिषेक (20) के साथ हल्द्वानी में काम करती थी। शुक्रवार को अभिषेक को सिर में दर्द हुआ और वह घर वापस लौट आया, लेकिन बाद में वह रेलवे पटरी के पास बेसुध मिला। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस के अनुसार, शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद अभिषेक का शव शिवानी को सौंप दिया गया। शिवानी ने बताया कि शव को घर ले जाने के लिए उसने कई एंबुलेंस चालकों से संपर्क किया, लेकिन सभी ने 10-12 हजार रुपये किराया मांगा, जो उसके पास नहीं थे।
उसने सबसे कम किराए पर मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। इतने पैसे नहीं थे, इसलिए शिवानी ने अपने गांव के एक टैक्सी चालक को बुलाया और भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांधकर 195 किलोमीटर दूर अपने घर ले गई।
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