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भद्रराज मंदिर में आस्था और परंपरा के सम्मान में ड्रेस कोड लागू

उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित मसूरी के निकट भद्रराज मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह क्षेत्रीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक भी है।

बलराम जी (बलभद्र) को समर्पित यह मंदिर इन दिनों एक महत्वपूर्ण निर्णय को लेकर चर्चा में है। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं के लिए एक ड्रेस कोड लागू कर दिया है, जिसके अंतर्गत केवल मर्यादित और पारंपरिक वस्त्रों में ही दर्शन की अनुमति दी जाएगी।

मंदिर समिति ने लिया सख्त निर्णय

भद्रराज मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल के अनुसार, यह निर्णय नया नहीं है, बल्कि तीन वर्ष पहले ही मंदिर परिसर में एक सूचना बोर्ड लगाया गया था, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि अशोभनीय वस्त्र पहनकर आने पर मंदिर में प्रवेश वर्जित होगा।

हालांकि हाल के दिनों में कुछ श्रद्धालु मंदिर में ऐसे कपड़ों में आने लगे, जो स्थानीय संस्कृति और धार्मिक मर्यादा के अनुकूल नहीं थे। इसे देखते हुए समिति ने इस नियम को अब सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है।

लापरवाही पर भी मिलेगा समाधान

यदि कोई श्रद्धालु अनजाने में या लापरवाही के चलते अमर्यादित वस्त्र पहनकर मंदिर पहुंचता है, तो उसे तुरंत वापस नहीं किया जाएगा। मंदिर समिति द्वारा ऐसी स्थिति में श्रद्धालु को धोती उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वह सम्मानपूर्वक भगवान के दर्शन कर सके।

मसूरी से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित है मंदिर

भद्रराज मंदिर, भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलभद्र (बलराम) को समर्पित है और यह मसूरी से लगभग 10 किलोमीटर दूर, समुद्र तल से 7,267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था से परिपूर्ण इस मंदिर में हर साल 16 और 17 अगस्त को भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।

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