म्यांमार में 28 मार्च 2025 को एक शक्तिशाली भूकंप ने देश के कई हिस्सों में तबाही मचाई है। इस भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई थी, और इसका केंद्र म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के म्यिट्किना शहर के पास था। भूकंप के झटके म्यांमार के अधिकांश हिस्सों में महसूस किए गए, जिनमें यंगून और मांडले जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं।
भूकंप का असर म्यांमार के पड़ोसी देश थाईलैंड में भी देखने को मिला। बैंकॉक में एक निर्माणाधीन ऊंची इमारत ढह गई, जिसमें कम से कम 10 लोगों की मौत की खबर है।
भूकंप की स्थिति:
भूकंप का असर इतना जोरदार था कि कई इमारतें और घर पूरी तरह से ढह गए। म्यांमार के सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इस भूकंप में अब तक 694 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1,670 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। मलबे में दबे लोगों की तलाश में राहत कार्य अभी भी जारी हैं।
विनाशकारी प्रभाव:
भूकंप के कारण कई प्रमुख शहरों में इमारतों का ढहना और बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ है। खासकर म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों और यंगून जैसे बड़े शहरों में कई घर, स्कूल और सार्वजनिक भवन नष्ट हो गए। अस्पतालों और राहत केंद्रों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि हजारों घायल लोगों को उपचार की जरूरत है।
भूकंप के झटके देशभर में महसूस किए गए, जिससे लोग घबराकर सड़कों पर आ गए। म्यांमार के जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, यह भूकंप एक बड़े भूकंपीय क्षेत्र में आया था, जो म्यांमार को भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील बनाता है। हालांकि, यह भूकंप अब तक के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक माना जा रहा है।

राहत और बचाव कार्य:
भूकंप के बाद म्यांमार सरकार ने राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति घोषित की और राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सेना और पुलिस को तैनात किया। देशभर से राहत दलों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है। मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है, और घायलों को निकटवर्ती अस्पतालों में भेजा जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी म्यांमार के साथ इस संकट में खड़ा है। भारत ने म्यांमार को राहत सामग्री भेजने की घोषणा की है, जिसमें 15 टन से अधिक सामग्री शामिल है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी म्यांमार को राहत सहायता प्रदान करने की पेशकश की है।