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सरोकारों से साक्षात्कार

बहादुर बिटिया अंबिका को शिक्षा विभाग ने किया सम्मानित

  • किरोड़ा गांव में गुलदार का आतंक, ग्रामीण सहमे
  • मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रमेन्द्र बिष्ट ने प्रतीक चिन्ह देकर किया सम्मानित

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के जखोली विकासखंड स्थित किरोड़ा गांव में गुलदार के आतंक ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। हाल ही में हुई घटना के बाद ग्रामीणों में खौफ का माहौल है।

बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अब ग्रामीण झुंड बनाकर चल रहे हैं ताकि उन्हें जंगली जानवरों से सुरक्षा मिल सके। बीते गुरुवार 17 जुलाई को गांव की एक छात्रा पर गुलदार ने हमला कर दिया, लेकिन छात्रा की बहादुरी ने सबको चौंका दिया।

छात्रा अंबिका ने दिखाई बहादुरी

राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किरोड़ा-तल्ला की कक्षा 10वीं की छात्रा अंबिका, पुत्री जगदीश लाल, रोज की तरह अपने घर से सुबह करीब 8 बजे स्कूल के लिए निकली थी।

स्कूल से कुछ ही दूरी पर अचानक एक गुलदार ने उस पर हमला कर दिया। अचानक हमले से डरी अंबिका ने घबराने के बजाय बहादुरी दिखाई और अपने हाथ में मौजूद छाते से गुलदार पर कई बार वार किया। इस साहसिक प्रयास से वह किसी तरह खुद को बचाकर स्कूल की ओर दौड़ पड़ी।

वन विभाग को किया गया सतर्क

स्कूल पहुंचने पर अंबिका के डरे-सहमे चेहरे को देखकर प्रभारी प्रधानाचार्य नरेश भट्ट और शिक्षक पीएस राणा ने उससे पूछताछ की।

अंबिका ने पूरी घटना की जानकारी दी, जिसे सुनकर शिक्षक भी स्तब्ध रह गए। उन्होंने तुरंत इसकी सूचना उच्च अधिकारियों और वन विभाग को दी। इस घटना ने पूरे क्षेत्र को भयभीत कर दिया है।

गुलदार की उपस्थिति से ग्रामीण अब अपने बच्चों को स्कूल तक छोड़ने और फिर उन्हें लाने का कार्य समूह में कर रहे हैं। इससे उनकी दैनिक दिनचर्या प्रभावित हो रही है।

महिलाओं को भी अब मवेशियों के लिए चारा लाने में डर लग रहा है। ग्रामीणों ने वन विभाग से जल्द से जल्द गुलदार को पकड़ने या सुरक्षित स्थान पर भेजने की मांग की है।

मुख्य शिक्षा अधिकारी ने छात्रा को किया सम्मानित

छात्रा अंबिका की वीरता को देखते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रमेन्द्र बिष्ट स्वयं विद्यालय पहुंचे और उसे प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि अंबिका ने संकट की घड़ी में जिस साहस और समझदारी का परिचय दिया है, वह प्रेरणादायक है। सभी विद्यार्थियों को उससे सीख लेकर संकट में घबराने के बजाय बुद्धिमानी और हिम्मत से काम लेना चाहिए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है, गुलदार पहले भी कई बार गांव के आसपास नजर आ चुका है। लेकिन अब बच्चों पर हमले की घटना से सब डरे हुए हैं। वन विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।

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