शिक्षा महिला सशक्तिकरण की कुंजी: डॉ नताशा

महाविद्यालय नरेंद्रनगर में राष्ट्रीय महिला दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन

शिक्षित बनकर ही महिला जीवन और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकती है। शिक्षा ही सशक्तिकरण के मार्ग को पुष्ट करने की कुंजी है। यह विचार आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ की संयोजक डॉ नताशा ने आज राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में प्रकट किये।

बता दें कि गुरुवार, 13 फरवरी को राजकीय महाविद्यालय नरेंद्र नगर ने आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना यूनिट के संयुक्त तत्वाधान में आइक्यूएसी बैनर के तले राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत में महिलाओं की स्थिति के विभिन्न आयामों पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया।

उपस्थित छात्रों और प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कॉलेज प्राचार्य डॉ. यूसी मैठाणी ने कहा कि पुरुष और महिला जीवन के दो पहिए हैं, जिसमें बिना एक-दूजे के गति सम्भव नहीं है।

एनएसएस के नोडल अधिकारी डॉ. मनोज फोंन्दडी़ ने कहा कि महिला सेवा, कर्तव्य और भावनाओं की भी जननी है, इसलिए सृष्टि संचालन में महिला का महत्व स्वयं स्पष्ट है।

कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. संजय महर ने महिलाओं के लिए शैक्षिक एवं राजनीतिक स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. राजपाल सिंह रावत ने महिलाओं को वित्तीय अधिकार दिए जाने की वकालत की है। डॉ. सोनी तिलारा ने लैंगिक आधार पर भेदभाव के उन्मूलन की वकालत करते हुए उत्तराखंड में महिलाओं में बढ़ती रक्ताल्पता पर चिंता प्रकट की है। उन्होंने तू जहां-जहां चलेगा….. मधुर गाना गाकर सभी को मंत्र मुक्त कर दिया।

डॉ. आराधना सक्सेना ने जीवन को संवारने के लिए एक महिला की तुलना हजारों दीपकों से करते हुए संदर्भित कविता उपस्थितजनों को सुनाई। डॉ. सुधारानी ने अपने परिवार में महिला सम्मान और सहभागिता की प्रशंसा की है।

डॉ. विजय प्रकाश भट्ट ने महिला और पुरुष की व्याख्या राजो और तमोगुण के आधार पर करते हुए सामाजिक सृजना का आधार बताया। वरिष्ठ प्रधान सहायक शूरवीर दास ने महिलाओं की मनोबल को बढाए जाने पर जोर दिया।

डॉ. जितेंद्र नौटियाल ने पुरुष और महिला सामंजस्य को संसार का मूल बताया। डॉ. विक्रम सिंह बर्त्वाल ने पुरुष और महिला की तुलना बीज और प्रकृति से करते हुए दोनों का सह- अस्तित्व बताया।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा उत्तराखंड कर्मचारी यूनियन की उपाध्यक्ष लक्ष्मी कठैत ने कहा की नारी संघर्षों से सब कुछ हासिल करने की अद्भुत शक्ति रखती है।

कार्यक्रम में डॉ. रंजीता जौहरी ने सहारे न ढूंढो ……कविता सुनाई। छात्रा आयुषी गंगोटी ने भी इस अवसर पर मां से संबंधी एक कविता सुनाई।

कार्यक्रम में कॉलेज प्राध्यापक डॉ. सुशील कगडियाल, चेतन भट्ट, डॉ. ज्योति शैली, रंजना जोशी, रमा बिष्ट, भागेश्वरी आदि महिला कार्मिकों के अलावा प्राध्यापक कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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