दो अंतरिक्ष यान ‘कोरोनाग्राफ’ और ‘ऑकुल्टर’ को एकसाथ होंगे प्रक्षेपित
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का वाणिज्यिक मिशन मंगलवार, 3 दिसम्बर से 25 घंटे की उलटी गिनती के साथ शुरू हो गया है। इस मिशन के तहत, आज 4 दिसंबर को इसरो यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करेगा।
क्या है प्रोबा-3 मिशन
यूरोप के कई देशों का एक पार्टनरशिप प्रोजेक्ट PROBA-3 मिशन है। इन देशों के समूह में बेल्जियम, स्पेन, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
इस मिशन के तहत न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (इसरो की वाणिज्यिक शाखा) यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करेगी। यह यान विशेष रूप से सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इस मिशन की कुल अनुमानित लागत लगभग 200 मिलियन यूरो है। प्रोबा-3 मिशन दो सालों तक चलेगा। इस मिशन की खास बात है कि इसके जरिए पहली बार अंतरिक्ष में ‘प्रिसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ को टेस्ट किया जाएगा।
प्रोबा-3 मिशन में खास
प्रोबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड आटोनॉमी) को दुनिया की पहली पहल बताया जा रहा है जिसमें एक ‘डबल-सैटेलाइट’ शामिल है, जिसमें दो अंतरिक्ष यान सूर्य के बाहरी वायुमंडल के अध्ययन के लिए एक यान की तरह उड़ान भरेंगे। ये उपग्रह सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी पृथ्वी पर भेजेंगे।
इसरो ने बताया कि, ‘प्रोबास’ एक लातिन शब्द है, जिसका अर्थ है ‘चलो प्रयास करें’। इसरो ने कहा कि मिशन का उद्देश्य सटीक संरचना उड़ान का प्रदर्शन करना है जिसमें कि दो अंतरिक्ष यान ‘कोरोनाग्राफ’ और ‘ऑकुल्टर’ को एकसाथ प्रक्षेपित किया जाएगा।
इसरो इस मिशन के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का उपयोग कर रहा है। पीएसएलवी की यह 61वीं उड़ान और पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण की 26वीं उड़ान होगी।
कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट
- 310 किलोग्राम वजनी यह सैटेलाइट सूरज की तरफ मुंह करके खड़ा होगा।
- यह लेजर और विजुअल बेस्ड टारगेट डिसाइड करेगा।
- इसमें ASPIICS यानी (एसोसिएशन ऑफ स्पेसक्राफ्ट फॉर पोलैरीमेट्रिक और इमेंजिंग इन्वेस्टिंगेशन ऑफ कोरोना ऑफ द सन) लगा है।
- इसके अलावा 3DEES यानी (3डी इनरजेटिक इलेक्ट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर) है। यह सूरज के बाहरी और अंदरूनी कोरोना के बीच के गैप की स्टडी करेगा।
ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट
- 240 किलोग्राम वजन वाला यह स्पेसक्राफ्ट कोरोनाग्राफ के पीछे रहेगा।
- इसमें लगा DARA यानी डिजिटल एब्सोल्यूट रेडियोमीटर साइंस एक्सपेरीमेंट इंस्ट्रूमेंट कोरोना से मिलने वाले डेटा की स्टडी करेगा।
ISRO ने 2001 में लॉन्च किया था PROBA-1 मिशन
इस श्रृंखला का पहला मिशन PROBA-1 को ISRO ने 2001 में लॉन्च किया था। उसके बाद 2009 में PROBA-2 लॉन्च किया था। Proba-3 मिशन में इसरो PSLV-C59 रॉकेट की मदद ले रहा है।
यह रॉकेट 145.99 फीट ऊंचा है। लॉन्च के समय इसका वजन 320 टन होगा। यह चार स्टेज का रॉकेट है। यह रॉकेट करीब 26 मिनट में प्रोबा-3 सैटेलाइट को 600 X 60,530 km वाली अंडाकार ऑर्बिट में डालेगा। इस मिशन में ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) सहयोग कर रही है।