बुधवार दोपहर बाद कालीमठ घाटी में तेज बारिश और ओलावृष्टि से भारी तबाही मची। इस आपदा ने क्षेत्र के कई गांवों—कोटमा, जाल तल्ला, जाल मल्ला, खोन्नू आदि में किसानों की सब्ज़ी और फल की फसलों को व्यापक नुकसान पहुँचाया है, जिससे उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ा है।
पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह सत्कारी ने बताया कि ओलावृष्टि के कारण आलू, बैंगन, टमाटर, लौकी, मिर्च जैसी मौसमी सब्ज़ियों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। खेतों में तैयार फसलें ओलों की मार से कुचल गईं, जिससे किसान अब पूरी तरह खाली हाथ हो गए हैं। कई किसानों की पूरी साल की मेहनत एक ही दिन में मिट्टी में मिल गई।
फल उत्पादन पर भी भारी असर पड़ा है। माल्टा, नारंगी, नींबू और सेब के पेड़ ओलों से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ओलों की मार से फलों के टूटने और झड़ने के साथ-साथ पेड़ों की शाखाएं भी टूट गईं, जिससे आने वाले सीजन में भी उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
स्थानीय प्रशासक त्रिलोक राणा और दिनेश सत्कारी ने प्रशासन से मांग की है कि प्रभावित किसानों का तुरंत सर्वे कराकर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। उनका कहना है कि बिना सरकारी सहायता के इन किसानों के लिए आगे की खेती करना मुश्किल होगा।
ग्रामीणों का कहना है कि इस बार की ओलावृष्टि पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक तीव्र थी और नुकसान भी अधिक गंभीर हुआ है। खेतों में पानी भर गया है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
कुल मिलाकर, यह प्राकृतिक आपदा किसानों के लिए सिर्फ फसल का नुकसान नहीं, बल्कि उनकी रोज़ी-रोटी और भविष्य की संभावनाओं पर भी बड़ा प्रहार है।
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