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सरोकारों से साक्षात्कार

कला अध्यापक कर सकते हैं विद्यालय का कायाकल्प:आकाश सारस्वत

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान गौचर में जनपद के कला विषय के सहायक अध्यापकों का चार दिवसीय चित्रांकन एवं शिल्प कला संवर्धन कार्यशाला का समापन हो गया है l

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्थानीय शिल्प एवं कलाओं को बढ़ावा देने की बात कही गई है इसी के आलोक में यह चारदिवसीय कार्यशाला रखी गई थी l

कार्यशाला में संदर्भदाता के रूप में पीएमश्री राजकीय अटल उत्कृष्ट इंटर कॉलेज देवाल के अध्यापक डॉक्टर हिमांशु पंत एवं एससीईआरटी देहरादून के प्रवक्ता डॉक्टर संजीव चेतन मौजूद रहेl

कार्यक्रम के समन्वयक सुबोध कुमार डिमरी ने बताया कि सरकार द्वारा बच्चों के माइंडसेट को चेंज करने के लिए प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में कौशलम कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा हैl

कौशलम में युवाओं को रोजगारपरक बनाने की बात कही गई है इसी के तहत कला के सहायक अध्यापकों की चार दिवसीय कार्यशाला रखी गई थी जिसमें जनपद के 9 विकासखंडों के 34 अध्यापकों द्वारा प्रतिभाग़ किया गया l

कार्यक्रम के संदर्भदाता एससीईआरटी के प्रवक्ता संजीव चेतन ने बताया कि उत्तराखंड में शिल्प की कोई कमी नहीं है, यहां पर कम से कम लागत में अधिक से अधिक उत्पाद बनाए जा सकते हैं, रिंगाल द्वारा विभिन्न वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है, बुरांस से स्क्वैश बनाया जा सकता l

काष्ठ कला से कई कार्य किए जा सकते हैं, पॉलिथीन के बजाय उसके विकल्प के रूप में लिफाफों का निर्माण किया जा सकता है,बुक बाइंडिंग का कार्य किया जा सकता है, वेस्टेज से उपयोगी सामान का निर्माण किया जा सकता है l इस प्रशिक्षण में इसी तरह के कार्य संपादित किए गए और सिखाया गया कि किस प्रकार कबाड़ से हम जुगाड़ कर सकते हैं l

कार्यक्रम के दूसरे संदर्भदाता डॉ. हिमांशु पंत ने बताया कि हमारे आस-पास कच्चे माल की कोई कमी नहीं है इससे हम विभिन्न उत्पाद तैयार कर सकते हैं l हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शिक्षण को गतिविधि के माध्यम से कराकर उसे रुचिपूर्ण बना सकते हैंl बच्चों की प्रतिभागिता से यह कार्य बेहतर तरीके से किया जा सकता है l

कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चमोली (गौचर) के प्राचार्य आकाश सारस्वत में कहा कि कला अध्यापक विद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक होता हैl वह अपने रचनाकर्म द्वारा विद्यालय का कायाकल्प कर सकता है, कला अध्यापक में रचनात्मकता कूट-कूट कर भरी होती है वह बच्चों के साथ इसका उपयोग कर बच्चों की मानसिकता को बदल सकता है l

चार दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर डायट के वरिष्ठ संकाय सदस्य रविंद्र सिंह बर्त्वाल, मृणाल जोशी, सुमन भट्ट मौजूद रहे l

https://regionalreporter.in/now-specialist-doctors-will-retire-at-the-age-of-65/
https://youtu.be/sLJqKTQoUYs?si=hy1abLy9drOrUeR7
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