रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

बच्चे के सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाई प्रसुता

सूचना मिलते ही एक घंटे के अंदर तोड़ा दम

पहाड़ों की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का खामियाजा एक बार फिर दो मासूम जानों को चुकाना पड़ा। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिसे उपजिला चिकित्सालय का दर्जा प्राप्त है, में विशेषज्ञ डॉक्टरों और संसाधनों की कमी ने गर्भवती महिला और उसके नवजात की जिंदगी छीन ली।

जानकारी के अनुसार, गैरसैंण विकासखंड के दूरस्थ फुलढुंगी तल्ला (घंडियाल) गांव निवासी 25 वर्षीय सुशीला देवी को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। अस्पताल में प्रसव के दौरान महिला ने मृत शिशु को जन्म दिया। वहीं कुछ देर बाद सुशीला की भी तबीयत बिगड़ी। डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक उपचार देने के बाद हायर सेंटर रेफर किया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।

मृतका का पति अंकित नेगी भारतीय सेना में कारगिल में तैनात हैं। घटना की जानकारी मिलते ही परिवार सहित पूरे क्षेत्र में मातम और आक्रोश फैल गया है। परिजन लगातार स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।

वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अर्जुन रावत ने बताया कि गर्भवती सुबह करीब 5 बजे स्वस्थ केंद्र में पूरे लेबर पेन के साथ पहुंची थी उन्हें तुरन्त इमरजेंसी में एडमिट कराया उनकी जांच में पाया गया कि बच्चे की धड़कन बहुत कम है। जिसके बारे में उनके परिजनों को सूचित के दिया गया था।

इसके बावजूद उन्होंने प्रसव ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य अस्पताल में करने का मन बनाया। करीब 2:34 प्रसुता का सुरक्षा प्रसव करा लिया गया था हालांकि बच्चे की जान को नहीं बचाया जा सका, करीब 1घंटे बाद प्रसुता को मालूम हुआ कि उसका बच्चा नहीं बच पाया है तो उसकी हालत अचानक बिगड़ गई BP, oxygen level घाटा व pulse rate बहुत अधिक बढ़ने लगी कुछ देर में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

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https://youtu.be/sLJqKTQoUYs?si=lhDptj_K00iHLC5Y

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