रेनबो पब्लिक स्कूल में हैलोवीन का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया। नन्हे–मुन्ने किंडरगार्टन के बच्चे प्यारे–प्यारे भूत, जादूगरनी, कद्दू और परियों के रूप में सजकर आए और पूरे विद्यालय का माहौल उल्लास से भर गया।
कार्यक्रम में हैलोवीन ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें बच्चों ने अपनी रचनात्मक वेशभूषा प्रदर्शित की।
विद्यालय प्रबंधन द्वारा सभी बच्चों को मिठाइयाँ और उपहार वितरित किए गए, जिससे उनकी खुशी दोगुनी हो गई।

दिलचस्प बात यह है कि हैलोवीन का जो भाव है ‘आत्माओं और पूर्वजों के सम्मान का’ वही भावना गढ़वाल की प्राचीन ‘जागर’ परंपरा में भी झलकती है।
जगार में लोग रात भर ढोल–दमाऊ की थाप पर देवी–देवताओं और पूर्वज आत्माओं को आमंत्रित करते हैं, जो मनुष्य और आध्यात्मिक संसार के बीच एक सेतु का कार्य करती है।
ऐसे आयोजन न केवल बच्चों में आनंद भरते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि चाहे गढ़वाल की जगार हो या पश्चिम का हैलोवीन, पूरी दुनिया की संस्कृतियाँ एक समान संदेश देती हैं-पूर्वजों का आदर करो और जीवन का उत्सव मनाओ।













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