उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी ज़िले के भागीरथी इको सेंसिटिव ज़ोन में नियमों के विरुद्ध बने होटल और रिज़ॉर्ट पर गंभीर चिंता जताई है।
अदालत ने कहा कि इन निर्माणों के कारण कभी भी नदी का रुख बदल सकता है और धराली जैसी आपदा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी और सिंचाई विभाग से पूछा है कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का कितना पालन हुआ है।
अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ज़मीनी हालात का निरीक्षण कर चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
एनजीटी का प्रावधान
कोर्ट ने दोहराया कि एनजीटी ने अपने आदेशों में साफ कहा है कि नदी क्षेत्र से 200 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण कार्य प्रतिबंधित रहेगा। ऐसे में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण या व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
यह मामला हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच की ओर से नागेंद्र जगूड़ी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रशासन ने नियमों की अनदेखी करते हुए इको सेंसिटिव और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में अवैध होटल और मकानों को अनुमति दी है। इससे आपदा का खतरा और बढ़ गया है।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।

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