प्रोफेसर बर्खास्त, संस्थान में पहली बार सख्त कार्रवाई
आईआईटी रुड़की के एक वरिष्ठ प्रोफेसर पर उनकी शोध छात्रा द्वारा लगाए गए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के आरोपों की पुष्टि के बाद, संस्थान प्रबंधन ने प्रोफेसर को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यह पहली बार है जब महिला उत्पीड़न के किसी मामले में आईआईटी रुड़की ने इतनी सख्त कार्रवाई की है।
करीब पांच माह पहले, एक पीएचडी छात्रा ने अपने ही विभाग के प्रोफेसर के खिलाफ संस्थान की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में शिकायत दर्ज कराई थी।
छात्रा ने प्रोफेसर पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। समिति ने जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज, गवाहों के बयान और आरोपी प्रोफेसर का पक्ष लेकर विस्तृत जांच की।
जांच और निष्कर्ष
आंतरिक शिकायत समिति ने विस्तृत पड़ताल के बाद छात्रा के आरोपों को सही पाया। समिति की रिपोर्ट संस्थान प्रशासन को सौंपी गई, जिसके आधार पर संस्थान ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए प्रोफेसर को बर्खास्त करने का निर्णय लिया। प्रोफेसर को औपचारिक पत्र देकर बर्खास्तगी की सूचना दी गई।
प्रोफेसर के अधीन दस से अधिक शोध छात्र कार्यरत थे, जिनके लिए अब नई गाइडेंस व्यवस्था करनी होगी। संस्थान ने इस संबंध में वैकल्पिक योजना तैयार करने की बात कही है।
यह कार्रवाई न केवल संस्थान के आंतरिक शिकायत तंत्र की सक्रियता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि अब उच्च शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न जैसे मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है। यह कदम अन्य संस्थानों के लिए भी उदाहरण बन सकता है, जहाँ इस तरह के मामलों में अक्सर चुप्पी साध ली जाती है।
