भारत और मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों में एक बार फिर से मजबूती का संकेत मिला है, जब भारत ने मालदीव को 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल के रोलओवर के माध्यम से तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान की।
इस सहायता का उद्देश्य मालदीव की आर्थिक स्थिरता को समर्थन देना और उसके राजकोषीय सुधारों के प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। यह वित्तीय सहायता दोनों देशों के बीच गहरे होते रणनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों का प्रमाण मानी जा रही है।
मालदीव सरकार के अनुरोध पर, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मालदीव के वित्त मंत्रालय की ओर से जारी 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सरकारी ट्रेजरी बिल को एक और वर्ष के लिए सब्सक्राइब किया है।
मार्च 2019 से, भारत सरकार एसबीआई ऐसे कई ट्रेजरी बिलों की सदस्यता की सुविधा प्रदान कर रही है और सालाना, ब्याज-मुक्त तरीके से मालदीव सरकार को रोलओवर कर रही है। यह सुविधा मालदीव को आपातकालीन वित्तीय सहायता के रूप में एक अनूठी सरकार-से-सरकार व्यवस्था के तहत दी गई है।
समय पर किया गया आर्थिक समर्थन
मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने एक आधिकारिक ट्वीट में इस सहायता के लिए भारत सरकार और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का आभार प्रकट किया।
उन्होंने इसे “समय पर की गई महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता” बताते हुए कहा कि यह न केवल भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ मित्रता को दर्शाती है, बल्कि आर्थिक लचीलापन बढ़ाने और जरूरी राजकोषीय सुधारों को लागू करने में भी मदद करेगी।
क्या है ट्रेजरी बिल का रोलओवर
भारत द्वारा दिया गया यह आर्थिक सहयोग दरअसल मालदीव सरकार द्वारा पहले लिए गए 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल का ‘रोलओवर’ है।
इसका अर्थ यह है कि भारत ने उस राशि की परिपक्वता अवधि को आगे बढ़ा दिया है, जिससे मालदीव को तत्काल भुगतान का दबाव नहीं पड़ेगा और उसकी आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
भारत-मालदीव संबंधों में स्थायित्व और रणनीतिक साझेदारी
भारत और मालदीव के संबंध ऐतिहासिक और बहुस्तरीय रहे हैं। भारत हमेशा से मालदीव की विकास यात्रा में एक भरोसेमंद भागीदार रहा है — चाहे वह आधारभूत संरचना परियोजनाएं हों, समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या फिर आपदा प्रबंधन।
यह सहायता ऐसे समय पर आई है जब मालदीव वैश्विक आर्थिक दबाव और आंतरिक राजकोषीय चुनौतियों से जूझ रहा है।
पिछले वर्षों में भारत ने मालदीव को कई बार आर्थिक सहायता दी है, जिसमें क्रेडिट लाइन, अनुदान और विकास परियोजनाओं के लिए निवेश शामिल हैं। यह नवीनतम सहयोग दोनों देशों के बीच ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति की गहराई को उजागर करता है, जहां भारत अपने पड़ोसी देशों की भलाई के लिए तत्पर रहता है।
भारत द्वारा प्रदान की गई यह सहायता मालदीव को न केवल वित्तीय स्थायित्व प्रदान करेगी, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास और पारस्परिक सहयोग को भी और मजबूत बनाएगी। दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन, रक्षा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में पहले से ही मजबूत साझेदारी है, और यह कदम उन संबंधों को और सशक्त बनाएगा।
