वैश्विक स्तर पर देशों के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य विकास का आकलन करने वाले संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मानव विकास सूचकांक (HDI) 2024 रिपोर्ट जारी की है।
इस रिपोर्ट में भारत को 193 देशों में से 130वां स्थान मिला है। यह रैंकिंग पिछले साल की तुलना में तीन पायदान बेहतर है, जहां भारत 2022 में 133वें और 2023 में 132वें स्थान पर था।
हालाँकि यह स्थान पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा सुधार दर्शाता है, लेकिन भारत अब भी अपने कई पड़ोसी देशों से पीछे है और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मूलभूत क्षेत्रों में मजबूत सुधार की आवश्यकता बनी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का मानव विकास सूचकांक (HDI) स्कोर 2022 में 0.676 से बढ़कर 2023 में 0.685 हो गया है। यह प्रगति दर्शाती है कि देश ने स्वास्थ्य, शिक्षा और आय के क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधार किया है।
मानव विकास सूचकांक चार प्रमुख मापदंडों पर आधारित होता है:
- जीवन प्रत्याशा
- औसत शिक्षा अवधि
- अपेक्षित शिक्षा अवधि
- प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI)
भारत का HDI स्कोर इस साल 0.644 रहा, जो निम्न-मध्यम आय वाले देशों के औसत के करीब है। यह स्कोर यह दर्शाता है कि देश ने कुछ क्षेत्रों, जैसे कि प्रति व्यक्ति आय और जीवन प्रत्याशा में सुधार तो किया है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सामाजिक असमानताओं को कम करने में अपेक्षित गति नहीं दिखा सका।
क्षेत्रीय तुलना में पिछड़ रहा भारत
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका (HDI रैंक: 78), भूटान (125) और बांग्लादेश (129) से भी पीछे है। वहीं पाकिस्तान (164) और नेपाल (146) जैसे कुछ देशों से भारत की स्थिति बेहतर है। लेकिन भारत जैसे बड़े और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए 130वां स्थान संतोषजनक नहीं माना जा सकता।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत अब भी कई सामाजिक क्षेत्रों में पिछड़ा हुआ है, विशेष रूप से शिक्षा की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और लैंगिक समानता के मामले में। विशेषज्ञों के अनुसार, इन क्षेत्रों में व्यापक सुधार के बिना मानव विकास के व्यापक लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 2023 में 72 वर्ष दर्ज की गई, जो 2022 के 71.7 वर्ष से थोड़ी अधिक है। यह स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई प्रगति को दर्शाता है। वहीं, स्कूलिंग के औसत वर्ष 6.57 पर स्थिर रहे, और अपेक्षित शिक्षा अवधि मामूली गिरावट के साथ 12.95 वर्ष रही।
रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन, सामाजिक असमानता और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में तत्काल और प्रभावशाली कदम उठाने की जरूरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अधिक निवेश करता है, तो वह अगले कुछ वर्षों में मानव विकास सूचकांक में और ऊपर चढ़ सकता है।
