₹64,000 करोड़ की रक्षा डील
भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ा इजाफा करते हुए 26 अत्याधुनिक समुद्री लड़ाकू विमानों की खरीद का निर्णय लिया गया है।
लगभग ₹64,000 करोड़ की इस रक्षा डील से समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की तैयारियां और अधिक सशक्त होंगी। यह विमान विमानवाहक पोतों पर तैनात किए जाएंगे, जिससे भारत की समुद्री मारक क्षमता में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी।
इन विमानों में नवीनतम हथियार प्रणाली, लंबी दूरी की मारक क्षमता, उन्नत रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीकें शामिल हैं। इससे भारतीय नौसेना को संकट की घड़ी में तेज और निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता प्राप्त होगी।
इन विमानों की डिलीवरी वर्ष 2030 तक पूरी होने की उम्मीद है, और उनके चालक दल को दोनों देशों — भारत और प्रशिक्षण-सहयोगी राष्ट्र — में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उच्चस्तरीय समझौते की औपचारिकता
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके समकक्ष सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू के बीच एक अंतर-सरकारी समझौता किया गया है।
सोमवार को नई दिल्ली स्थित नौसेना भवन में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने समझौते, विमान आपूर्ति प्रोटोकॉल और हथियार आपूर्ति प्रोटोकॉल की हस्ताक्षरित प्रतियों का आदान-प्रदान किया।
इस सौदे से इन सुविधाओं के शुरू होने से उत्पादन और संचालन में काफी संख्या में एमएसएमई के लिए हजारों नौकरियां और आय सृजन की उम्मीद है।
राफेल-मरीन की खरीद से भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना दोनों के लिए विमान के लिए प्रशिक्षण और रक्षा सामग्री को अनुकूलित करने के साथ-साथ संयुक्त परिचालन क्षमता में भी काफी वृद्धि होगी।
राफेल-मरीन के शामिल होने से भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों की मारक क्षमता में काफी बढोत्तरी होगी।
कौन से जेट शामिल
इस करार में 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल एम जेट शामिल हैं, जिन्हें भारतीय जरूरतों और विमान वाहक जहाजों के ऑपरेशन के लिए बनाया गया है।
समझौते में विमानों के रखरखाव, लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग और स्वदेशी कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए व्यापक व्यवस्था भी शामिल है। राफेल एम जेट्स INS विक्रांत से उड़ान भरेंगे और मौजूदा मिग-29के बेड़े को सहयोग प्रदान करेंगे।