भारत ने तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग एमके-2’ का सफल फील्ड ट्रायल किया है। यह स्वदेश में बनी ‘फायर एंड फॉरगेट’ मिसाइल है।
इसका फील्ड मूल्यांकन परीक्षण हाल ही में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में पोखरण फील्ड रेंज में सफलतापूर्वक किया गया।
तीन क्षेत्रीय परीक्षणों के दौरान मिसाइल प्रणालियों ने सभी लक्ष्यों अधिकतम और न्यूनतम सीमा को सटीक रूप से नष्ट कर दिया। इस प्रकार इसकी फायरिंग रेंज मान्य हो गई।
पूरी हथियार प्रणाली सेना में शामिल होने के लिए तैयार
नाग Mk-2 एक फायर-एंड-फॉरगेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। इसका मतलब है कि इसे दागने के बाद इसे किसी और नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती।
यह अपनी लक्ष्य-सटीकता और आधुनिक तकनीक की वजह से बेहद प्रभावी मानी जाती है। यह तीसरी पीढ़ी की मिसाइल है, जो दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने के लिए डिजाइन की गई है।
डीआरडीओ द्वारा विकसित नाग मार्क 2 मिसाइल को विशेष रूप से आधुनिक बख्तरबंद खतरों को बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया है।
इसकी फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक ऑपरेटरों को लॉन्च से पहले लक्ष्य पर टारगेट करने में सक्षम बनाती है, जिससे जटिल युद्धक्षेत्र में भी सटीक हमले सुनिश्चित होते हैं।
नाग मिसाइल कैरियर संस्करण 2 का भी परीक्षण
नाग मिसाइल कैरियर (NAMICA) संस्करण 2 का भी सफल क्षेत्र मूल्यांकन किया गया, जो संपूर्ण हथियार प्रणाली के संचालन में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस उपलब्धि ने टैंक रोधी युद्ध में भारत की बढ़ती क्षमताओं को रेखांकित किया और इसके रक्षा बलों की तत्परता को मजबूत किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि को हासिल करने में उनकी भूमिका के लिए डीआरडीओ, सेना और उद्योग हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, नाग एमके 2 का सफल परीक्षण रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने इसमें शामिल टीमों की सराहना करते हुए कहा कि यह उपलब्धि भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को आगे बढ़ाने में डीआरडीओ, भारतीय सेना और रक्षा उद्योग के बीच तालमेल को रेखांकित करती है।
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