योग प्रशिक्षक मानसी खुगसाल ने दिया प्रशिक्षण
एक माह के प्रशिक्षण में चामी, सुरालगांव, जैथलगांव, लयड़ा, सिलण, सीरौं के ग्रामीण शामिल
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर चामी गांव में ‘चामी टीनेजर्स’ द्वारा आयोजित योग प्रशिक्षण शिविर में क्षेत्रवासियों ने सामुहिक योगाभ्यास प्रदर्शन में सक्रियता से भाग लिया। इस कार्यक्रम को देखने और उसमें भाग लेने के लिए निकटवर्ती गांव सुरालगांव, जैथलगांव, लयड़ा, सिलण, सीरौं आदि से कई लोग आए।
महत्वपूर्ण है कि विगत 8 जून से चामी गांव में ‘चामी टीनेजर्स’ के बच्चों के लिए योग शिविर आयोजित किया गया है। यह योग शिविर आगामी जुलाई माह तक चलेगा। इस योग शिविर की प्रशिक्षक मानसी खुगशाल ने बताया कि बच्चों में योग के प्रति जागरूक करके उनको स्वस्थ्य जीवन-शैली को अपनाने साथ ही उनमें अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकने में सक्षम बनाने उद्वेश्य से यह प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय की योग छात्रा मानसी खुगशाल कहती हैं कि एक योग प्रशिक्षक के रूप में मुझे बहुत प्रसन्नता है कि सभी ‘चामी टीनेजर्स’ बहुत रुचि और लगन से विभिन्न योग मुद्राएं और अभ्यासों को सीख गए हैं और बेहतर सीखने की कोशिश कर रहे हैं। इस शिविर के अन्तर्गत उन्हें आत्म रक्षा के तरीकों में दक्ष करने का प्रयास किया जा रहा है। विशेषकर लड़कियों में अपने सुरक्षा स्वयं कर सकने का आत्मविश्वास जागृत हो सके।
50 से अधिक सदस्य हैं जुड़े
चामी गाँव, (असवालस्यूं), पौड़ी (गढ़वाल) के टीनेजर्स विगत 7 वर्षों से चामी गाँव में ‘लाइब्रेरी, कम्प्यूटर प्रशिक्षण, विचार-विमर्श तथा मिलन केन्द्र’ का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। वर्तमान में ‘चामी टीनेजर्स’ से 50 से अधिक टीनेजर्स जुड़े हैं।
जन सहयोग से चल रही मजबूत मुहिम
चामी टीनेजर्स’ की संचालिका रिकीं बिष्ट ने बताया कि वर्तमान में, ग्रामीणों एवं मार्गदर्शी व्यक्तित्वों के सहयोग से ‘लाइब्रेरी, कम्प्यूटर प्रशिक्षण एवं मिलन केन्द्र’, चामी गाँव में 2हजार से अधिक पुस्तकें, अध्ययन हेतु टेबलेट, प्रतिदिन शाम की नियमित क्लासेज एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था उपलब्ध है। प्रतिदिन शाम को 4.30 से 5.30 बजे तक नियमित क्लासेज में मुख्यतया स्कूल का होमवर्क, रिवीजन, पढ़ने से संबंधित गतिविधियां की जाती हैं। इसके बाद, सांय 5.30 से 6.00 बजे तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम जिसमें अनिवार्यतया सामुहिक डांस सम्पन्न होते हैं।

महत्वपूर्ण यह भी है कि गांव में रहकर जीवकोपार्जन कर रहे अभिभावकों के बच्चों की इंटरमीडिएट तक अध्ययनरत विद्यार्थियों के सभी शैक्षिक व्ययों (यथा- फीस, कापी-किताब और ड्रैस) की जिम्मेदारी शुभचिन्तकों तक निभाई जा रही है। इसके अन्तर्गत, प्रत्येक बच्चे की वार्षिक निर्धारित धनराशि को उनके अभिभावकों के बैंक खातों में आनलाइन जमा किया जाता है। इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण करने बाद उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में अध्ययनरत 3 युवाओं को लेपटाप प्रदान किया गया है। (विभिन्न मित्रगणों के पुराने लेपटाप जो बिल्कुल ठीक स्थिति में हैं और बच्चों के पढ़ने लिए उपयोगी है, उनसे प्राप्त करके इन बच्चों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।)

अभिनव प्रयासों के साथ बढ़ रहा चामी टीनएजर्स क्लब
विभिन्न अभिनव प्रयासों से गाँव के आस-पास उपलब्ध विभिन्न विषयों के जानकार, अध्यापकों और प्रशिक्षकों का नियमित मार्गदर्शन, बुजुर्गों का प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान (अब तक 20), गाँव में मातृभाषा गढ़वाली में बातचीत करना, समर कैम्प, ‘व्यक्तित्व विकास’, रंगमंच अभिनय, योगा प्रशिक्षण, हैलो हल्द्वानी’ रेडियो से वार्ताओं का प्रसारण (अब तक 25 वार्तायें), शैक्षिक भ्रमण और विभिन्न अवसरों पर होने वाले प्रतियोगी कार्यक्रमों में सभी सदस्यों का प्रतिभाग कराया जाता है।
शैक्षणिक और सामाजिक बदलाव
यह महत्वपूर्ण है कि ‘चामी टीनेजर्स’ की बहुआयामी गतिविधियों से चामी गांव में शैक्षिक और सामाजिक समरसता के वातावरण में सकारात्मक बदलाव आया है। बच्चों में स्व-अनुशासन एवं आत्मविश्वास अपने गांव और परिवेश को जानने-समझनेे और उसके प्रति और लगाव जागृत हुआ है। अन्य नजदीकी गांवों के लिए ‘चामी टीनेजर्स’ प्रेरक संस्था के रूप में लोकप्रिय हुई है।
क्लब को मिला अनिरुद्ध जोशी – भुवनेश्वरी जोशी स्मृति पुरस्कार 2024
उक्त के परिपेक्ष्य में यह उल्लेखनीय है कि उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट पौड़ी (गढ़वाल), उत्तराखण्ड द्वारा ‘चामी टीनेजर्स’ के सराहनीय प्रयासों यथा- बच्चों के बीच पढ़ने-लिखने की संस्कृति, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक अभिरुचि को बढ़ाने के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं हेतु वर्ष-2024 का अनिरुद्ध जोशी/भुवनेश्वरी जोशी स्मृति पुरस्कार-2024 से सम्मानित किया गया है।
‘चामी टीनेजर्स’ के संस्थापक डाॅ. अरुण कुकसाल ने बताया कि ‘चामी टीनेजर्स’ सामाजिक सौहार्द, समरसता और समन्वयन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों में सीखने और सिखाने की विधा के माध्यम से आपसी जीवनीय मार्गदर्शन की ओर अभिप्रेरित होकर गाँव के सर्वागींण विकास के लिए तत्पर हो रहे हैं।