स्पैडेक्स मिशन: इसरो ने उपग्रहों की डॉकिंग में दूसरी बार हासिल की सफलता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए अपने स्पैडेक्स (SpaDEx – Space Docking Experiment) मिशन के अंतर्गत दो उपग्रहों की दूसरी बार सफलतापूर्वक डॉकिंग की है।

यह उपलब्धि 20 अप्रैल 2025 को रात लगभग 8:20 बजे दर्ज की गई, जब दो छोटे उपग्रहों – SDX-01 और SDX-02 – ने अंतरिक्ष में एक-दूसरे से स्वायत्त रूप से संपर्क किया और डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की।

इसरो ने पिछले साल 30 दिसंबर को ‘स्पेडेक्स’ मिशन शुरू किया था और अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ संबंधी प्रयोग के लिए दो उपग्रह-एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को कक्षा में स्थापित किया था।

इस डॉकिंग में कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं किया गया, बल्कि इसे पूरी तरह स्वायत्त तकनीक द्वारा नियंत्रित किया गया।

यह तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिसमें अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण, ईंधन भराई, और अंतरिक्ष यानों की मरम्मत जैसे कार्यों में सहायता मिलेगी।

अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ संबंधी प्रयोग करने वाला चौथा देश है।

स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में यांत्रिक डॉकिंग की प्रक्रिया, सटीक नेविगेशन, नियंत्रण प्रणाली और डेटा ट्रांसफर की क्षमता का परीक्षण करना है। यह मिशन इसरो की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत वह गगनयान जैसे मानवयुक्त अभियानों के लिए आधार तैयार कर रहा है।

इससे पहले इसरो ने जनवरी 2024 में पहली बार इस मिशन के अंतर्गत डॉकिंग की थी, जो आंशिक रूप से सफल रही थी। उस अनुभव से सीख लेते हुए इस बार इसरो ने तकनीकी अपग्रेड और सटीक सॉफ्टवेयर कंट्रोल सिस्टम का इस्तेमाल किया, जिससे डॉकिंग पूरी तरह सफल रही।

इस सफलता से इसरो को न केवल तकनीकी मजबूती मिली है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की वैज्ञानिक क्षमता को भी मान्यता मिली है। कई देशों ने इस प्रयोग में रुचि दिखाई है और इसरो से तकनीकी सहयोग की इच्छा जताई है।

स्पैडेक्स मिशन की यह सफलता भारत को आत्मनिर्भर अंतरिक्ष तकनीक के मार्ग पर और आगे ले जाती है, जिससे वह भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण, अंतरिक्ष में मरम्मत कार्य, और दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।

मिशन के फायदे

  • भारत की योजना 2035 में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है। मिशन की सफलता इसके लिए अहम है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे जिन्हें अंतरिक्ष में एक साथ लाया जाएगा। इनमें पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाना है।
  •  यह मिशन चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए भी अहम है…यह प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने और अन्य के लिए आधार तैयार करेगा।
  • यह तकनीक उन मिशनों के लिए अहम है, जिनमें भारी अंतरिक्ष यान और उपकरण की जरूरत होती है, जिन्हें एक बार में लॉन्च नहीं किया जा सकता।
https://regionalreporter.in/kailash-mansarovar-yatra-will-start-from-july-2025/
https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=i30WW8ja_4-1hLNS
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