इसरो 29 जनवरी को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 100वां जीएसएलवी-एफ15 मिशन लॉन्च करेगा। स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण वाला जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट एनवीएस-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में भेजेगा।
27 घंटे का काउंटडाउन पूरा करने के बाद रॉकेट सैटेलाइट को लेकर रवाना होगा। इसके साथ ही यह इसरो के नए अध्यक्ष वी. नारायणन का पहला मिशन होगा।
इस संबंध में इसरो ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर जानकारी दी। पोस्ट में कहा गया है कि अपने कैलेंडर पर मार्क कर लें, जीएसएलवी-एफ15/एनवीएस-02 मिशन के लॉन्च होने का समय 29 जनवरी है।
सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) 10 अगस्त, 1979 को श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाला पहला बड़ा रॉकेट था। अब 46 साल बाद अंतरिक्ष विभाग शतक पूरा करने के लिए तैयार है।
जीएसएलवी-एफ15, जीएसएलवी रॉकेट की 17वीं उड़ान है। यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण वाली 11वीं उड़ान भी है। एनवीएस-02 उपग्रह भारतीय नेविगेशन प्रणाली का हिस्सा है। यह दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है, जो नेविगेशन के लिए काम करेगा।
इसरो के अनुसार, NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कंस्टीलेशन) भारत का स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। इसका उद्देश्य भारत और भारतीय जमीन से 1,500 किमी तक फैले क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं को सटीक पोजीशन, वेलोसिटी और टाइमिंग सेवाएं प्रदान करना है।
नेविगेशन उपग्रह प्रणाली को भारत में उपयोगकर्ताओं और भारतीय भूमि से लगभग 1500 किमी दूर तक सटीक स्थिति, वेग और समय सेवा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
GSLV-F15 की विशेषताएँ
GSLV-F15 रॉकेट की उड़ान, GSLV रॉकेट का 17वां मिशन होगा, जिसमें 11वीं बार स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज का उपयोग किया जाएगा।
यह रॉकेट उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करेगा, जो उपग्रह के सफल कार्यान्वयन के लिए आवश्यक है।
इस मिशन के माध्यम से इसरो ने न केवल अपने अंतरिक्ष तकनीकी क्षेत्र में सिद्धता प्राप्त की है, बल्कि स्वदेशी तकनीकों के विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया है।