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सरोकारों से साक्षात्कार

जौरासी सड़क पर सरकारी भूमि से भी काटे गए पेड़

प्रशासनिक जांच में अनियमितता उजागर

उतीस के गिल्टों पर बड़ा खुलासा

SDM बोले: सरकारी भूमि से पेड़ काटना गलत, रेंजर का तर्क: “उतीस प्रतिबंधित नहीं”

हेम कांडपाल

जौरासी सड़क के भल्टवानी–पल्ली क्षेत्र में रखे गए उतीस के गिल्टों को लेकर नया खुलासा हुआ है।

पर्यावरण कार्यकर्ता शंकर सिंह बिष्ट की शिकायत पर प्रशासन ने जांच की,

जिसमें सरकारी भूमि से भी पेड़ काटे जाने की पुष्टि हुई है।

जांच रिपोर्ट ने कई अनियमितताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जांच में क्या मिला

उपजिलाधिकारी सुनील कुमार राज ने बताया कि शिकायत के बाद राजस्व टीम ने मौके का निरीक्षण किया और पाया कि:

  • नाप भूमि की आड़ में सरकारी भूमि पर खड़े कुछ पेड़ भी काट दिए गए
  • कटान मनमाने ढंग से किया गया
  • कटान प्रक्रिया नियमों के खिलाफ पाई गई
  • संबंधित ठेकेदार के विरुद्ध चालानी कार्रवाई की संस्तुति की गई है

SDM का बयान:

“जिस प्रकार से पेड़ों का कटान किया गया है, वह पूरी तरह अवैध है।

सरकारी भूमि से पेड़ काटना गंभीर लापरवाही है। इस मामले में ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई को लिखा गया है।”

वन विभाग की सफाई: ‘उतीस प्रतिबंधित श्रेणी में नहीं’

इस प्रकरण पर वन क्षेत्राधिकारी उमेश पांडे ने कहा कि उतीस (Alnus nepalensis) प्रतिबंधित श्रेणी में नहीं आता है,

इसलिए इसके कटान के लिए वन विभाग से अनुमति लेना आवश्यक नहीं है।

उमेश पांडे का बयान:

“उतीस तेज़ी से बढ़ने वाली प्रजाति है। काटने के दो साल बाद यह फिर से खड़ा हो जाता है।

पेड़ काटने से पहले भूमि का चिन्हीकरण राजस्व विभाग करता है।

आगे विवाद न हों, इसके लिए चिन्हीकरण के दौरान वन विभाग को भी मौके पर बुलाया जाना चाहिए।”

उन्होंने सुझाव दिया कि राजस्व और वन विभाग संयुक्त चिन्हीकरण व्यवस्था अपनाएं ताकि भविष्य में गलत पेड़ न कटें और विवाद न हों।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चिंता

शिकायतकर्ता शंकर सिंह बिष्ट और अन्य पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कहा कि:

  • सरकारी भूमि पर पेड़ काटना सरासर गैरकानूनी है
  • इससे स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचता है
  • प्रशासन और विभागों को प्रोटोकॉल सख्ती से लागू करना चाहिए

स्थानीय ग्रामीणों ने भी कहा कि सरकारी भूमि पर कटान से विकास कार्यों की आड़ में

जंगलों को नुकसान पहुँचाने का जोखिम बढ़ जाता है।

मामले का क्या असर? (विश्लेषण)

  • प्रशासन की रिपोर्ट से साबित हुआ है कि कटान प्रक्रिया में गंभीर त्रुटियाँ हुईं।
  • यह मामला विभागों के बीच समन्वय की कमी को उजागर करता है।
  • यह भी स्पष्ट है कि पेड़ प्रतिबंधित न होने के बावजूद सरकारी भूमि पर कटान अवैध है।
  • आगे ऐसे मामले रोकने के लिए संयुक्त साइट निरीक्षण प्रणाली अपनाने की आवश्यकता है।
https://regionalreporter.in/uksssc-lt-special-education-recruitment-2025/
https://youtu.be/YRWlr0OJc7M?si=mjXCCmkDwdYWFuzl
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