पत्रकार वीरेंद्र सेंगर का जाना: पत्रकारिता जगत की बड़ी क्षति

जाने – माने टिप्पणीकार तथा बेबाक पत्रकार थे सेंगर

उमाकांत लखेड़ा / पूर्व अध्यक्ष प्रेस क्लब ऑफ इंडिया

देश के बड़े पत्रकार, राजनीतिक टिप्पणीकार, हम में कईयों से सीनियर रहे पत्रकार वीरेंद्र सेंगर के आकस्मिक निधन से बहुत स्तब्ध हूं।

हिंदी पत्रकारिता ने एक बेहद जानकर , जांबाज और जुझारू पत्रकार खो दिया। कम बोलना, ज्यादा लिखना और विनम्रता उनमें कूट कूट कर भरी थी। वीरेंद्र सेंगर से मेरी निकटता 1987 में पहली बार पश्चिमी उत्तरप्रदेश में किसान आंदोलन और रैलियों में मुलाकातों से शुरू हुई। जब 1988 में दिल्ली आया तो चौथी दुनिया हो या संडे मेल के दौर में लगातार भेंट और खबरों पर चर्चाएं जमकर होती थीं। राजनीतिक पत्रकारिता में दशकों बिताने के बावजूद उन्होंने किसी राजनेता से कोई निजी फायदा नहीं उठाया। एकदम निडरता से बेदाग जीवन जिया।

उत्तर प्रदेश के हरेक अंचल की सियासत की जानकारियां उनकी उंगलियों पर होती थी। देश की माटी और जमीन से जुड़ी उनकी पत्रकारिता हमेशा याद रहेगी। मित्रों से उनका स्नेहिल व्यवहार और उनकी यादें सदैव जीवंत रहेंगी।उनके जाने से पैदा हुए शून्य को कभी भर पाना बेहद कठिन होगा! विनम्र श्रंद्धाजलि और कोटि कोटि नमन!

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