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जस्टिस अतुल श्रीधरन विदाई समारोह में बोले “जो आज साहिबे मसनद हैं, कल नहीं होंगे”

जस्टिस अतुल श्रीधरन का इलाहाबाद हाई कोर्ट में तबादला

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस अतुल श्रीधरन ने गुरुवार को अपने अंतिम दिन भावुक विदाई स्वीकार की।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की संशोधित सिफारिश के बाद उनका ट्रांसफर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में किया गया है।

विदाई समारोह में उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड में केवल परिवर्तन ही स्थायी है, और इसी के साथ उन्होंने राहत इंदौरी का मशहूर शेर पढ़ा “जो आज साहिबे मसनद हैं, कल नहीं होंगे, किराएदार हैं, जाती मकान थोड़ी हैं।” उनकी इस शायरी ने पूरे समारोह में अलग ही रंग भर दिया।

सात महीनों के भीतर तीसरा ट्रांसफर

जस्टिस श्रीधरन का यह सात महीनों में तीसरा स्थानांतरण है। मार्च 2025 में उन्हें जम्मू–कश्मीर हाई कोर्ट से मध्य प्रदेश भेजा गया था।

बाद में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में करने की सिफारिश की थी, लेकिन केंद्र सरकार के अनुरोध के बाद इस आदेश में बदलाव करते हुए उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का निर्णय लिया गया।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि उन्हें छत्तीसगढ़ भेजा जाता तो वे वहां के हाई कोर्ट कॉलेजियम में सदस्य बने रहते, जबकि इलाहाबाद में उनकी सीनियरिटी सातवें क्रम पर रहेगी।

2023 में खुद मांगी थी ट्रांसफर की अनुमति

साल 2023 में उन्होंने स्वयं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से अपना ट्रांसफर मांगा था। उनका कहना था कि उनकी बेटी राज्य में वकालत शुरू कर रही है, इसलिए हितों के टकराव से बचने के लिए वह किसी दूसरे हाई कोर्ट में जाना चाहते हैं। उसी अनुरोध के बाद उन्हें जम्मू–कश्मीर हाई कोर्ट भेजा गया था।

विदाई समारोह में जस्टिस श्रीधरन हुए भावुक

फेयरवेल समारोह में जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि तबादले भी सेवा का एक महत्वपूर्ण अनुभव हैं और वे देश के सबसे बड़े हाई कोर्ट में काम करने के लिए उत्साहित हैं।

उन्होंने अपने साथी जजों, वकीलों और अदालत से जुड़े सभी लोगों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा “बार हमेशा बेंच का सबसे मजबूत रक्षक होता है।” वकीलों ने भी उनकी सेवाओं की प्रशंसा की और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।

दिल्ली से इंदौर और फिर तीन हाई कोर्ट तक का सफर

जस्टिस अतुल श्रीधरन ने 1992 में दिल्ली में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम की टीम के साथ अपने करियर की शुरुआत की।

1997 से 2000 तक उन्होंने दिल्ली में स्वतंत्र रूप से वकालत की और वर्ष 2001 में इंदौर आकर सीनियर एडवोकेट सत्येंद्र कुमार व्यास के साथ काम किया।

उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में राज्य सरकार के पैनल एडवोकेट और सरकारी वकील के रूप में भी कार्य किया। वर्ष 2016 में उन्हें अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया और 2018 में वे स्थायी जज बने।

ट्रांसफर आदेश लागू होने के बाद वह अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी नई जिम्मेदारियाँ संभालेंगे। वहाँ उनका कार्यकाल और वरिष्ठता उन्हें नए अनुभवों और चुनौतियों से रूबरू कराएगी।

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