5 अक्तूबर की परीक्षा टली, जांच जारी
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की सहकारी निरीक्षक वर्ग-2 और सहायक विकास अधिकारी परीक्षा से पहले फर्जी दस्तावेजों के सहारे आवेदन करने का मामला सामने आया है।
एसओजी ने इस सिलसिले में यूपी के हापुड़ निवासी एक युवक को गिरफ्तार किया है, जो लंबे समय से सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़े का सहारा ले रहा था।
तीन अलग नाम और फर्जी प्रमाणपत्रों से किया आवेदन
आरोपी सुरेंद्र कुमार, निवासी पिलखुवा (हापुड़) ने एक ही परीक्षा के लिए तीन अलग-अलग आवेदन किए। हर आवेदन में पिता के नाम की अलग-अलग स्पेलिंग—सलेक, शालेक और सलीके कुमार—लिखी गई।
उसने अलग-अलग मोबाइल नंबर और फर्जी दस्तावेज़ों के साथ आवेदन जमा किया था। पुलिस जांच में पाया गया कि रोजगार पंजीकरण, ओबीसी और स्थाई निवास प्रमाण पत्र सभी फर्जी थे।
जन्मतिथि और शिक्षा प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी
एसएसपी अजय सिंह के अनुसार, आरोपी ने जन्मतिथि 1 जनवरी 1995 बताई थी, जबकि हाईस्कूल प्रमाणपत्र में यह 1 अप्रैल 1988 दर्ज थी।
इसके अलावा उसने अलग-अलग वर्षों में तीन विश्वविद्यालयों—सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ, श्रीधर यूनिवर्सिटी राजस्थान और मानव भारती यूनिवर्सिटी हिमाचल—से स्नातक की फर्जी डिग्रियां पेश कीं। सभी दस्तावेज़ फर्जी पाए गए।
रोजगार पंजीकरण से खुला फर्जीवाड़ा
आरोपी के दस्तावेज़ों की जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि उसका रोजगार पंजीकरण पत्र “UA कोड” से शुरू था, जबकि उत्तराखंड के असली पंजीकरण नंबर “UK कोड” से शुरू होते हैं।
दस्तावेज़ों में अंकों की संख्या भी गलत पाई गई। जांच के बाद एसओजी ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
सुरेंद्र पिलखुवा में एक स्कूल चलाता है और वहीं शिक्षक भी है। पुलिस जांच में सामने आया कि वह यूपी में कई प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल रहा।
इसके बाद उसने उत्तराखंड से नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर आवेदन किया।
फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद आयोग ने 5 अक्तूबर को प्रस्तावित परीक्षा स्थगित कर दी है।
बताया जा रहा है कि यह मामला पहले हुए पेपर लीक प्रकरण से भी जुड़ा हो सकता है। 21 सितंबर को हुए पेपर लीक केस में गिरफ्तार आरोपी खालिद मलिक ने भी पिता का नाम बदलकर कई आवेदन किए थे। यह मामला वर्तमान में एसआईटी जांच के अधीन है।
आयोग ने लागू किए कड़े नियम
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) का पेपर लीक मामला राज्य में सरकारी भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर गया है।
इस घटना ने आयोग की कार्यप्रणाली और सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया, जिससे अभ्यर्थियों में गहरा आक्रोश फैल गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
पेपर लीक प्रकरण के बाद अब आयोग ने परीक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए नए नियम लागू किए हैं।
हर उम्मीदवार का बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य किया गया है। परीक्षा केंद्र पर पहुंचते ही उम्मीदवारों की फिंगरप्रिंट और फोटो से पहचान की जाएगी।
जूते-चप्पल उतारकर तलाशी ली जाएगी और केंद्रों पर मोबाइल नेटवर्क ब्लॉक करने वाले जैमर लगाए जाएंगे।
जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी परीक्षा केंद्रों पर स्वयं निगरानी रखेंगे। अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती और परीक्षा केंद्रों का सैनिटाइजेशन भी किया जाएगा।
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