प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद भी पंचायती चुनाव को लेकर सरकार मौन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में राज्यहित में कई दूरगामी और प्रभावशाली निर्णय लिए हैं। ये निर्णय राज्य की आर्थिक, औद्योगिक, सामाजिक और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को नया बल देने वाले हैं।
बैठक में 11 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जो स्थानीय रोजगार सृजन, औद्योगिक निवेश, प्रशासनिक पारदर्शिता और जनकल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। नीचे इन फैसलों का विश्लेषणात्मक विवरण प्रस्तुत है।
- वित्त विभाग एवं अधिप्राप्ति प्रणाली में सुधार
- उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 में संशोधन करते हुए कैबिनेट ने स्थानीय निवासियों के माध्यम से कराए जाने वाले कार्यों की सीमा को 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
- ई व डी श्रेणी के ठेकेदारों की कार्य-सीमा में वृद्धि की गई है, जिससे उन्हें बड़े प्रोजेक्ट्स में भागीदारी का अवसर मिलेगा।
- स्वयं सहायता समूहों को 5 लाख तक के कार्य देने की स्वीकृति दी गई है।
- MSME इकाइयों को टेंडर प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी, यदि वे न्यूनतम निविदा से 10% अधिक तक की बोली लगाते हैं।
- प्रोक्योरमेंट सिस्टम में नॉन-कंसल्टेंसी कार्यों को भी सम्मिलित किया गया है।
- टेंडर प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बैंक ई-बीजी, ऑनलाइन सिक्योरिटी डिपॉजिट, और IFMS पोर्टल पर ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम लागू किया जाएगा।
- GeM (Government e-Marketplace) का उपयोग बढ़ाया जाएगा।
- औद्योगिक विकास नीति – 2024
उत्तराखंड सरकार ने “मेगा इंडस्ट्रियल नीति 2024” को मंजूरी दी है, जो आगामी पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगी। इस नीति के अंतर्गत निवेश और रोजगार आधारित सब्सिडी की व्यवस्था की गई है:
- लार्ज उद्योग (₹50–200 करोड़): 50 स्थायी रोजगार पर 10% सब्सिडी
- अल्ट्रा लार्ज (₹200–500 करोड़): 150 रोजगार पर 15% सब्सिडी
- मेगा उद्योग (₹500–1000 करोड़): 300 रोजगार
- अल्ट्रा मेगा (₹1000 करोड़ से अधिक): 500+ रोजगार अनिवार्य
- यह नीति राज्य में बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करेगी।
- सेवा क्षेत्र नीति – 2024
- उत्तराखंड सेवा क्षेत्र नीति 2024 को मंजूरी दी गई है। इसके तहत उन्हीं क्षेत्रों में सेवा संस्थानों को सब्सिडी मिलेगी, जहां पहले से ऐसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसका उद्देश्य राज्य के पिछड़े और दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा विकास को बढ़ावा देना है।
- सामाजिक और स्वास्थ्य कल्याण के निर्णय
- अटल आयुष्मान योजना के अंतर्गत अस्पतालों को समय पर भुगतान के लिए 75 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है।
- देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों में मरीजों के तीमारदारों के लिए एम्स ऋषिकेश की तर्ज पर रहने-खाने की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी। यह सुविधा बेहद सस्ती दरों पर दी जाएगी।
- योग नीति को स्वीकृति
- उत्तराखंड योग नीति को मंजूरी दी गई है, जिसके अंतर्गत: 5 नए योग हब की स्थापना होगी।
- पर्वतीय क्षेत्रों में 50% और मैदानी क्षेत्रों में 25% तक की सब्सिडी दी जाएगी।
- योग शिक्षकों को ₹250 प्रतिदिन की प्रतिपूर्ति मिलेगी।
- अन्य महत्वपूर्ण फैसले
- उत्तराखंड विष कब्जा एवं विक्रय नियमावली में मिथाइल एल्कोहल को शामिल किया गया।
- राजकीय लेखा संवर्ग की पूर्व व्यवस्था यथावत रहेगी।
- राज्य बाल सुरक्षा संगठन की रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करने की स्वीकृति।
- उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के लिए 11 नए पदों का सृजन।
कैबिनेट बैठक में पंचायती चुनाव पर सरकार ने ठानी चुप्पी
उत्तराखंड में पहली बार पंचायत व्यवस्था गंभीर संवैधानिक संकट का सामना कर रही है। राज्य में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब पंचायतें बिना प्रशासक के रह गई हों। इससे न केवल स्थानीय शासन व्यवस्था ठप हो गई है, बल्कि विकास कार्य भी पूरी तरह रुक गए हैं।
पंचायतों का कामकाज हुआ ठप
पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल बीते मंगलवार को ख़त्म हो गया, लेकिन उससे पहले सरकार की ओर से प्रशासकों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया। लेकिन अब तक नए चुनाव नहीं हो पाए हैं, और न ही किसी प्रशासक की नियुक्ति हुई है।
इसका नतीजा यह है कि इन पंचायतों में न कोई निर्णय लिया जा सकता है, न ही कोई योजना शुरू हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह से प्रशासनिक शून्य में फंस गए हैं।
चारधाम यात्रा के चलते बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी यात्रा व्यवस्था में लगे हुए हैं, जिस वजह से पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं हो पा रहा। इसके अलावा, जून के अंत से शुरू होने वाला मानसून भी चुनाव प्रक्रिया में बाधा बन सकता है।

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