अपने समय के मशहूर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award) दिया गया। 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी में मिथुन को ये सम्मान मिला। सिनेमा में उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति (Draupadi Murmu) ने उन्हें सम्मानित किया।
अवॉर्ड मिलने के बाद मिथुन ने अपनी जर्नी के बारे में भी बताया। वो बोले, ”नेशनल अवॉर्ड मिला तो खुद को अल-पचीनो समझने लगा था, फिर मुझे एक लात पड़ी, तो अकल आई। मेरे रंग की वजह से मुझे कुछ सुनने को मिला। कहा जाता था कि ये बॉलीवुड में ये काला रंग नहीं चलेगा। मैं सोचता था कि करूं क्या, मैं भगवान से कहता था कि हे भगवान इस रंग का क्या करूं, ये तो चेंज नहीं कर सकता। तो मैंने सोचा मैं पैरों से डांस करूंगा, मैं ऐसा डांस किया पैरों से, इतना थिरका कि लोगों का ध्यान मेरे पैरों पर गया ही नहीं। उस दिन के बाद से मैं बन गया सेक्सी, डस्की, बंगाली बाबू।
मैं भगवान से बहुत शिकायत करता था। लेकिन आज ये अवॉर्ड मिलने के बाद मैंने ये शिकायत करना छोड़ दिया। मैंने सिर्फ शुक्रियाअदा किया। मैं नए लोगों से कहूंगा कि हिम्मत नहीं हारना, सपना देखना कभी बंद नहीं करना।खुद सो जाना लेकिन सपनों को कभी सोने नहीं देना। मैं कुछ बन सकता हूं तो तुम भी बन सकते हो।”
मिथुन दा 74 साल से सिनेमा में एक्टिव हैं, उन्हें साल 1977 में अपनी पहली ही फिल्म मृग्या के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। मिथुन अब तक लगभग 350 से भी ज्यादा फिल्में कर चुके हैं। इनमें हिंदी से लेकर बंगाली, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और पंजाबी फिल्में भी शामिल हैं।