चमोली एसटीपी हादसे को दो साल बीत चुके हैं, लेकिन मृतकों के परिजनों को अब तक न्याय नहीं मिला है। घटना में मारे गए 16 में से 12 मृतकों के परिवारों ने मंगलवार को देहरादून स्थित शहीद स्मारक पर धरना-प्रदर्शन कर राज्य सरकार से अपने वादे पूरे करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पेयजल निगम और ठेकेदार कंपनियों की लापरवाही के कारण हादसा हुआ, लेकिन जिम्मेदारों पर अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई।
जानें क्या है मामला
19 जुलाई 2023 को चमोली बाजार के पुराने पुल के पास नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण कार्य चल रहा था।
परिजनों का कहना है कि पेयजल निगम ने निर्माण का ठेका जेबीएम और सीईआईपीएल नामक कंपनियों को संयुक्त रूप से दिया, लेकिन इन कंपनियों ने यह काम मेस्सर्स एक्सेस पावर कंट्रोल को सबलेट कर दिया।
काम के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी और लापरवाही के चलते करंट फैल गया, जिससे 16 मजदूरों की मौत हो गई।
हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिजनों को स्थाई नौकरी, उचित मुआवजा और दोषियों पर कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन धरने पर बैठे परिवारों का कहना है कि दो साल बाद भी केवल 7 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देकर प्रशासन ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
युवा इंटक के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह क्षेत्री ने भी प्रदर्शन में शामिल होकर परिजनों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने ही युवाओं की मौत पर झूठे वादे किए और अब उन्हें भूल गई है। उन्होंने मांग की कि प्रत्येक मृतक परिवार को कम से कम एक करोड़ रुपये मुआवजा और एक सदस्य को स्थाई नौकरी दी जाए।
परिजनों की चेतावनी
धरना-प्रदर्शन में मृतक योगेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, गणेश कुमार, सुरेश कुमार, महेंद्र लाल, मुकंदी राम, देवेंद्र लाल, मनोज कुमार, प्रमोद और सुखदेव कुमार के परिजन मौजूद रहे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं कीं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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