भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में सात वर्षों बाद आयोजित पाण्डव नृत्य का दुर्योधन वध व पाण्डवो के अस्त्र- शस्त्र विसर्जित के साथ हो गया है।
केदार घाटी के प्रसिद्ध रंगकर्मी लखपत राणा व अंकित रावत के निर्देशन मे दुर्योधन वध लीला का सफल मंचन किया गया। दुर्योधन वध लीला व पाण्डव नृत्य के समापन के हजारों दर्शक व श्रद्धालु साक्षी बने तथा पाण्डव नृत्य कमेटी द्वारा चक्रव्यूह लीला व दुर्योधन वध लीला के सफल निर्देशन करने वालों को स्मृति देकर सम्मानित किया गया।
पाण्डवों के अस्त्र- शस्त्र विसर्जित होते ही पाण्डव पश्वाओं व धियाणियों की आंखे छलक उठी। एक माह तक चले पाण्डव नृत्य के निर्विघ्न सम्पन्न होने पर पाण्डव नृत्य कमेटी ने आन जनमानस का आभार व्यक्त किया।

सोमवार को ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों ने पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजाये सम्पन्न की। दोपहर बाद पाण्डव नृत्य का शुभारंभ हुआ तो चुन्नी मंगोली गांव निवासी कुब्जा धर्म्वाण सहित सैकड़ो भक्तो मे पंच देव पाण्डवों को फूल-मालाये अर्पित कर विश्व समृद्धि की कामना की तथा ग्रामीणों ने पाण्डवो के अस्त्र-शस्त्र को मक्खन सहित अनेक प्रकार की पूजा सामाग्री अर्पित कर मनौती मांगी।
पाण्डव नृत्य के समापन अवसर पर केदार घाटी के प्रसिद्ध रंगकर्मी लखपत राणा व अंकित रावत के निर्देशन पर शानदार दुर्योधन वध लीला का मंचन किया जबकि दुर्योधन वध लीला मंचन मे मुकेश अथवाल व ज्योति असवाल ने संगीत पर साथ दिया।
पाण्डव नृत्य कमेटी द्वारा चक्रव्यूह लीला का निर्देशन करने वाले उत्सव ग्रुप के निर्देशक डा. राकेश भट्ट व दुर्योधन वध लीला का निर्देशन करने वाले रंगकर्मी लखपत राणा को समृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

देर सांय युगों से चली परम्परानुसार पाण्डव के अस्त्र-शस्त्र विसर्जित किये गये तथा पाण्डवो के अस्त्र-शस्त्र विसर्जित होते ही पाण्डव पश्वाओ व धियाणियों की आंखे छलक उठी।
पाण्डव नृत्य कमेटी अध्यक्ष विजय राणा ने बताया कि द्वितीय केदारनाथ भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ आगमन पर 23 नवम्बर से पाण्डव नृत्य का शुभारंभ किया गया था तथा सोमवार को पाण्डवो के अस्त्र-शस्त्र विसर्जित के साथ पाण्डव नृत्य का निर्विघ्न समापन हो गया है।
इस मौके पर पूर्व प्रमुख फते सिंह रावत, लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग, टी गंगाधर लिंग, पाण्डव नृत्य कमेटी संरक्षक अर्जुन रावत, सचिव राजीव भट्ट, कोषाध्यक्ष कुवर बर्त्वाल, केदार सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, ओकारेश्वर मन्दिर प्रभारी यदुवीर पुष्वाण, कविता भट्ट, कुसुम भट्ट, सन्तोष शैव, कुलदीप रावत, नवीन मैठाणी, भूपेंद्र राणा, सीमा बिष्ट, मानवेंद्र शैव, कैलाश पुष्वाण, मनोज पटवाल, वी पी किमोठी, महेश बर्त्वाल, यशोधर मैठाणी, अंजनेश पंवार, नवदीप नेगी सहित हजारों दर्शक मौजूद थे ।