सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है। अब जो शिक्षक शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) लागू होने से पहले नियुक्त हुए हैं, उन्हें दो साल के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करनी होगी, तभी वे अपनी नौकरी जारी रख सकेंगे।
अदालत ने कहा है कि जिनकी सेवा अवधि पाँच साल से अधिक बची है, वे टीईटी पास करना अनिवार्य है। वहीं, जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पाँच साल से कम है, उन्हें राहत दी गई है वे बिना टीईटी के रिटायर हो सकते हैं, लेकिन पदोन्नति का लाभ नहीं मिलेगा।
पदोन्नति चाहेंगे तो पास करनी होगी टीईटी
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि “सिर्फ टीईटी न पास करने की वजह से किसी को नौकरी से निकालना कठोर होगा।”
फिर भी, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि टीईटी पास करना अब योग्यता का हिस्सा है, इसलिए इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुनाया।
फैसले के मुताबिक, ऐसे शिक्षक जो सेवानिवृत्ति से पहले पदोन्नति पाना चाहते हैं, उन्हें टीईटी पास करनी होगी।
जो टीईटी नहीं देंगे या असफल रहेंगे, वे केवल मौजूदा पद पर ही काम कर पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जो शिक्षक टीईटी पास नहीं कर पाएंगे, उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ (pension, gratuity आदि) मिलेंगे, बशर्ते उन्होंने नियमों के अनुसार आवश्यक सेवा अवधि पूरी की हो।

 
					










 
									





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