प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना की जन सुनवाई को ले कर चल रही क़ानूनी प्रक्रिया पर गुरुवार, 04 सितम्बर को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में सवाल उठाया गया।
दून समग्र विकास अभियान की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वकील तनुप्रिया जोशी ने इस बात को रखा कि, न्यायलय के पूर्व आदेश एवं नियमावली के विपरीत फिर पूरी जनसुनवाई एवं “सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट” प्रक्रिया जल्दबाजी, गैर पारदर्शिता एवं गैर क़ानूनी तरीकों से की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने एलिवेटेड परियोजना की नई विस्तृत रिपोर्ट को 13 अगस्त को ही अपलोड किया जिस दिन उच्च न्यायलय में संबंधित याचिका पर पहली बार सुनवाई हुई थी।
नई रिपोर्ट के बारे में कोई भी सार्वजनिक जानकारी आज तक नहीं दी गयी है। दोबारा हो रही जन सुनवाइयों के लिए भी मात्र तीन दिन का नोटिस दिया गया है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में और भी काफी खामियां हैं जो नियम के खिलाफ हैं। इसलिए इस याचिका को बंद न किया जाये क्योंकि अभी भी सरकार कानून के विपरीत कार्यवाही कर रही है।
सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार की ओर से पेश हुई अनुपालन रिपोर्ट पर निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता अपनी राय पेश करें। अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।
दून समग्र विकास अभियान ने कहा कि इस प्रस्तावित परियोजना पर सरकार जिस ढंग से काम कर रही है, इससे यह बात और स्पष्ट होती है कि यह प्रस्तावित परियोजना विनाशकारी एवं जन विरोधी है।
सडकों पर एवं हर जन सुनवाई में जनता की और से स्पष्ट आवाज़ उठ रही है कि यह परियोजना जनहित में नहीं है और इससे जनता, पर्यावरण और शहर को घातक नुक्सान होगा।
कानून के अनुसार जन सुनवाई की प्रक्रिया उस समय की जाती है जब तय करना होता है कि कोई भी परियोजना जनहित में है कि नहीं है, लेकिन सरकार के अधिकारी एवं सत्ताधारी दल के नेता जनता की आवाज़ को दबा कर बार बार घोषित कर रहे हैं कि इस परियोजना को बनना ही है। इसलिए इसपर लगातार विभिन्न संगठनों की और से आंदोलन हो रहे हैं।

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