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संसद में बड़ा बदलाव: ‘राइट टू डिसकनेक्ट’ बिल और पान मसाला पर नया उपकर

कार्यसंस्कृति और कर नीति दोनों में ऐतिहासिक कदम

भारत की संसद में दो ऐसे अहम विधेयकों पर चर्चा और कार्रवाई हुई है, जो देश की कार्यसंस्कृति और राजस्व नीति दोनों को बदल सकते हैं।

एक ओर कर्मचारियों को काम के बाद डिजिटल काम से राहत दिलाने के लिए ‘राइट टू डिसकनेक्ट बिल 2025’ (Right to disconnect bill 2025) पेश किया गया है,

वहीं दूसरी ओर सरकार ने पान मसाला पर नया उपकर लगाने के लिए ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक’ को मंजूरी दी है।

इन दोनों कदमों का असर सीधे आम कर्मचारियों, निजी कंपनियों और उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला है।

कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत

डिजिटल युग में कर्मचारियों पर ऑफिस टाइम के बाद भी कॉल और ईमेल का जवाब देने का दबाव लगातार बढ़ रहा है।

इसी समस्या के समाधान के लिए लोकसभा में ‘Right to Disconnect Bill 2025’ को निजी सदस्य विधेयक के रूप में पेश किया गया है।

इस कानून के तहत कर्मचारियों को मिलेंगे ये अधिकार

  • काम के घंटों के बाद फोन, ईमेल और मैसेज का जवाब न देने की कानूनी आज़ादी
  • इस कारण नौकरी से निकालने, वेतन काटने या मानसिक उत्पीड़न पर रोक
  • कर्मचारियों की शिकायतों के लिए अलग प्राधिकरण की स्थापना
  • 10 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों पर विशेष नियम लागू
  • नियम तोड़ने वाली कंपनियों पर कुल वेतन का 1% तक जुर्माना

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में यह कानून लागू होने से कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा और वर्क-लाइफ बैलेंस मजबूत होगा।

पान मसाला पर नया उपकर

सरकार ने पान मसाला और अन्य अधिसूचित उत्पादों पर नया कर लगाने के लिए ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक 2025’ को मंजूरी दी है।

उपकर से मिलने वाला पैसा कहां जाएगा

  • राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजनाओं में निवेश
  • राज्यों की स्वास्थ्य योजनाओं में सहायता
  • गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए फंड

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि यह उपकर खास तौर पर “डिमेरिट गुड्स” पर लगाया जा रहा है,

ताकि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों पर अतिरिक्त कर लगाया जा सके।

जीएसटी के बाद नई कर व्यवस्था

यह उपकर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की जगह लेगा, जो 31 मार्च 2026 को समाप्त हो रहा है।

अभी तक तंबाकू और पान मसाले पर जो उपकर लगता था, उसकी जगह यह नया कानून लागू होगा।

यह टैक्स उत्पाद की बिक्री कीमत पर नहीं, बल्कि फैक्ट्री की उत्पादन क्षमता पर लगाया जाएगा।

राजनीतिक और सामाजिक असर

विश्लेषकों का मानना है कि:

  • “राइट टू डिसकनेक्ट” से कॉरपोरेट संस्कृति बदलेगी
  • कर्मचारी उत्पीड़न में कमी आएगी
  • पान मसाले पर टैक्स से कीमतें बढ़ सकती हैं
  • सरकार को बड़ा राजस्व मिलेगा
  • स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलेगी
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