11 फरवरी को एक निर्णायक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने लॉटरी वितरकों पर सेवा कर लगाने के निर्णय को रद्द करने के लिए सिक्किम उच्च न्यायालय का पक्ष लिया।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लॉटरी वितरकों को बड़ी राहत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 11 फरवरी को फैसला सुनाया कि लॉटरी वितरकों को केंद्र सरकार को सर्विस टैक्स देने की जरूरत नहीं है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की अपील को खारिज कर दिया है।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और एन.के. सिंह की बेंच ने सिक्किम हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील को खारिज कर दिया है।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि, क्योंकि लॉटरी वितरकों और सरकार के बीच कोई एजेंसी का संबंध नहीं है, इसलिए उन्हें सर्विस टैक्स देने की जरूरत नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह कहना सही था कि लॉटरी “सट्टेबाजी और जुआ” की श्रेणी में आती है। केवल राज्य ही इस पर कर लगा सकता है और वे राज्य सरकार द्वारा लगाए गए जुआ कर का भुगतान अवश्य करेंगे, जो संविधान की सूची-2, प्रविष्टि 62 के तहत आता है।
केंद्र ने 2013 में शीर्ष अदालत का रुख किया था। उच्च न्यायालय का फैसला लॉटरी फर्म फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर आया था।
जानें क्या है पूरा मामला
ये मामला 2013 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सिक्किम हाईकोर्ट ने यह फैसला फ्यूचर गेमिंग सॉलूशन्स नाम की लॉटरी कंपनी की याचिका पर सुनाया था।
इस मामले में केंद्र सरकार ने दावा किया था कि उसे सर्विस टैक्स लगाने का अधिकार है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉटरी सट्टा और जुआ की श्रेणी में आती है, जो संविधान के स्टेट लिस्ट के तहत आती है, इसलिए सिर्फ राज्य सरकार ही इस पर टैक्स लगा सकती है।
कोर्ट ने सिक्किम हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि लॉटरी पर टैक्स लगाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को है, केंद्र सरकार को नहीं है।