केदार घाटी में विगत एक सप्ताह से मौसम के बार-बार करवट लेने से जनजीवन खासा प्रभावित हो गया है तथा ग्रामीणों की दिनचर्या खासी प्रभावित हो गयी है।
केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रो मे रूक-रूककर बर्फबारी होने तथा निचले भूभाग में बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने लगी है।
सीमान्त क्षेत्रों के तापमान में भारी गिरावट महसूस होने से ग्रामीण घरों में कैद रहने के लिए विवश बने हुए हैं। हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी तथा निचले भूभाग में बारिश होने से प्रकृति में नवऊर्जा का संचार होने के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में वृद्धि देखने को मिल तो रही है मगर काश्तकारों की धान की बुवाई भी खासी प्रभावित हो गयी है।

बता दें कि, केदार घाटी के अधिकांश इलाकों में विगत 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पर मौसम के करवट ले ली थी तथा एक सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले भूभाग में बारिश का क्रम जारी रहने से जनजीवन खासा प्रभावित हो गया है ।
मदमहेश्वर घाटी गैड बष्टी के काश्तकार बलवीर राणा ने बताया कि, घाटी मे विगत कई दिनों से बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने लगी है तथा ग्रामीणों का कामकाज खासा प्रभावित होने लगा है।
भटेश्वर वार्ड के काश्तकार बिक्रम रावत ने बताया कि, हिमालय क्षेत्रों में विगत कई दिनों से रूक-रूककर हो रही बर्फबारी से प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार तो होने लगा है मगर काश्तकारो की धान की बुवाई भी प्रभावित होने लगी है।
ओंकारेश्वर वार्ड मंगोली गांव के काश्तकार राय सिंह धर्म्वाण ने बताया कि, लगातार बारिश का क्रम जारी रहने से जनजीवन खासा प्रभावित हो गया है।