पांच सालों में सरकारी स्कूलों को उद्योगपतियों को गोद देने तक पहुंच पाई सरकार
गंगा असनोड़ा
उत्तराखण्ड के विभिन्न उद्योग समूह को उत्तराखण्ड की सरकार राज्य के 550 सरकारी स्कूल गोद देने जा रही है। उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था में राज्य सरकार तथा शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर किए गए प्रयोगों की दिशा में यह एक नया प्रयोग होगा, जो इस राज्य के नीति-नियंताओं की स्याह हकीकत बयां करता है।
कई दशकों से उत्तराखण्ड के विकास के बुनियादी सवालों में शामिल स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, यातायात, सड़क, विद्युत, पेयजल, संचार जैसी सुविधाएं आज उत्तराखण्ड के आम जनमानस से न सिर्फ कोसों दूर हो गई हैं, बल्कि नीतिगत रूप से बेहद विकृत स्वरूप में दिखाई देती हैं।
पूर्व में अस्पतालों को पीपीपी मोड पर देकर किया बर्बाद
स्वास्थ्य जैसी जरूरत को पीपीपी (पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप) मोड में दिए जाने के बाद उन अस्पतालों को क्या हश्र हुआ है, यह देखना समीचीन होगा। जिन अस्पतालों ने सरकारी अस्पतालों को गोद लिया, उन्होंने अपने फायदे के लिए ही अस्पताल संभाले। आज पी पी पी मोड पर दिए गए अस्पतालों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है।
सांसदों के गोद लिए अधिकांश गांव बदहाल
पलायन को रोकने के लिए सांसदों द्वारा गांवों को गोद लिए जाने की व्यथा क्या कम भारी है जो अब उत्तराखण्ड की सरकार इस राज्य के सरकारी विद्यालयों को प्रदेश के कॉर्पोरेट समूहों को गोद देने जा रही है।
देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन का हवा बनाता एनईपी-2020 उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था में पांच साल के भीतर यही व्यापक बदलाव ला पाया है कि अब उत्तराखण्ड के सरकारी विद्यालय प्राईवेट होने जा रहे हैं।

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