खंडाह कारगिल शहीद कुलदीप सिंह राजकीय इंटर कॉलेज खंडाह खिर्सू में आयोजित विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम में केरल की युवा कुचिपुड़ी नृत्यांगना सुपर्णिका नंबियार ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से छात्रों और शिक्षकों को रोमांचित कर दिया।
सुपर्णिका इन दिनों स्पिक मैके के तहत उत्तराखंड के विभिन्न विद्यालयों में कुचिपुड़ी नृत्य वर्कशॉप और डेमोंस्ट्रेशन प्रस्तुत कर रही हैं।
इसी क्रम में उन्होंने खंडाह कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में शास्त्रीय नृत्य की अद्भुत छटा बिखेरी।
कार्यक्रम के दौरान सुपर्णिका ने कुचिपुड़ी नृत्य की उत्पत्ति, इसकी शैली, तकनीक और भाव-अभिनय की बारीकियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि कुचिपुड़ी केवल नृत्य नहीं, बल्कि संगीत, अभिनय और अभिव्यक्ति के समन्वय की एक जीवंत कला है, जिसमें भावनाओं को चेहरे और मुद्राओं के माध्यम से प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।
उन्होंने छात्रों को विभिन्न ‘हस्त मुद्राओं’, ‘अंग-संचालन’ और ‘ताल’ की विशेषताओं से अवगत कराते हुए भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की समृद्ध विरासत के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
प्रस्तुति के दौरान उनके प्रत्येक भाव, ढंग और ताल ने उपस्थित बच्चों का मन मोह लिया। छात्र-छात्राएँ उनकी नृत्य-शैली और ऊर्जा से प्रभावित होकर बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साह बढ़ाते रहे।
सुपर्णिका ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य भारतीय संस्कृति की जड़ों को समझने का एक सशक्त माध्यम है और युवा पीढ़ी को इससे अवश्य जुड़ना चाहिए।
उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे नृत्य और कला के क्षेत्र में अपनी रुचि को पहचानें और आगे बढ़ें।
कार्यक्रम के आयोजक प्रधानाचार्य खंडाह विक्रम सिंह नेगी ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य छात्रों में भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
कहा कि सुपर्णिका जैसी युवा कलाकारों की प्रस्तुतियों से छात्रों में शास्त्रीय कलाओं के प्रति नई ऊर्जा और रुचि देखने को मिल रही है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक महेश गिरि ने सुपर्णिका के प्रयासों की सराहना की और स्पीक मैके के गढ़वाल प्रभारी परवेज अहमद को विद्यालय परिवार की ओर से साधुवाद एवं आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसी प्रस्तुतियाँ ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को कला और संस्कृति की नई दिशा दिखाती हैं।
कार्यक्रम का समापन विद्यार्थियों के साथ हुए संवाद-सत्र से हुआ, जिसमें छात्रों ने कुचिपुड़ी नृत्य के बारे में कई रोचक प्रश्न पूछे।









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