उच्चतम न्यायालय ने ‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ (TTZ) प्राधिकरण को क्षेत्र में पेड़ों की गणना के लिए वन अनुसंधान संस्थान (FRI) को नियुक्त करने का बुधवार, 05 मार्च को निर्देश जारी किया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम मामले में उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए ने पेड़ों की गिनती के आदेश दिए हैं।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने TTZ प्राधिकरण को क्षेत्र में सभी मौजूदा पेड़ों का सर्वेक्षण करने के लिए वन अनुसंधान संस्थान (FRI) को नियुक्त करने का निर्देश दिया।
उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीज़ेड) प्राधिकरण की स्थापना की गई थी।
टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।
पीठ ने कहा, ‘‘यह आंकड़ा वृक्षों की गणना के माध्यम से उपलब्ध कराया जा सकता है। हम टीटीजेड प्राधिकरण को निर्देश देते हैं कि वह देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) को टीटीजेड क्षेत्र में सभी मौजूदा पेड़ों की गणना करने के लिए प्राधिकरण के रूप में नियुक्त करें।’’
सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड में पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता ने ताजमहल और उसके आस-पास के क्षेत्रों सहित ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए समुचित आदेश जारी करने की मांग की थी।
ताज ट्रेपेजियम जोन- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 30 दिसंबर 1996 को ताज ट्रेपेजियम जोन घोषित किया गया था। ताज ट्रेपेजियम जोन में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 मार्च में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी थी। ताज ट्रेपेजियम जोन में 40 से अधिक संरक्षित स्मारक हैं, जिसमें तीन विश्व धरोहर स्थल ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी शामिल हैं।