देश के 25 हजार उपनल कर्मियों के मामले में एक तरफ उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने जोर का झटका दिया है, तो दूसरी तरफ उपनल कर्मियों के संघर्ष की जीत हुई है। अब उनके नियमितीकरण की राह साफ हो गई है। अब कुंदन सिंह बनाम राज्य सरकार में हाई कोर्ट के वर्ष 2018 के आदेश पर अमल की राह खुल गई है। उपनल कर्मचारी महासंघ के महामंत्री विनय प्रसाद ने इस जीत के लिए सभी कार्मिकों को बधाई दी।
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मंगलवार, 15 अक्तूबर को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड, उपनल के माध्यम से उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में कार्यरत लगभग 25 हजार कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की ओर से उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण संबंधित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया है और उत्तराखंड हाईकोर्ट के 2018 में जारी निर्णय को ही जारी रखने की बात कही है।
बता दें कि, वर्ष 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को उपनल कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण नियमावली बनाने का आदेश दिया था। आदेशानुसार कर्मचारियों के लिए जब तक नियमावली नहीं बनती है तब तक उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। राज्य सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई थी।
उपनल संघ के अनुसार, अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है और उत्तराखंड सरकार को जल्द मामले पर निर्णय लेते हुए कर्मचारियों को लाभ देना चाहिए।
2003 में विभागीय संविदा हो गई थी समाप्त
राज्य सरकार ने वर्ष 2003 में विभागीय संविदा समाप्त कर दी थी। इसके बाद उपनल ही एकमात्र ऐसी एजेंसी थी, जिसने मानकों के मुताबिक कार्मिकों की भर्ती की। लिहाजा, उपनल के माध्यम से तैनात कार्मिकों ने यह मांग उठानी शुरू कर दी थी कि नियमितीकरण पर पहला हक उनका है।