उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित भगवान शिव के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज प्रातः ठीक 7 बजे पारंपरिक विधि-विधान, वैदिक मंत्रोच्चारण, और भक्तिमय वातावरण के बीच श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।
हिमालय की गोद में बसे इस तीर्थस्थल ने एक बार फिर शिवभक्तों की आस्था और भक्ति से सराबोर होकर आध्यात्मिक ऊर्जा से वातावरण को भावविभोर कर दिया।
हर साल की भांति इस वर्ष भी कपाट खुलने की तिथि वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को तय की गई थी। कपाटोद्घाटन के पावन अवसर पर पूजा-अर्चना की गई।
कपाट खुलने से पूर्व मंदिर प्रांगण को 108 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया गया था। जैसे ही द्वार खुले, “हर हर महादेव” के जयघोष से घाटी गूंज उठी और श्रद्धालुओं की आंखों में आस्था की चमक देखी गई।

कपाट खोलने की प्रक्रिया में रावल (मुख्य पुजारी), पंडितों और मंदिर समिति के सदस्यों की उपस्थिति रही। सेना की ग्रेनेडियर रेजिमेंट के बैंड द्वारा बजाए गए शिव भजनों और पारंपरिक धुनों ने माहौल को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
केदारनाथ धाम की यात्रा केवल एक धार्मिक तीर्थ नहीं, बल्कि एक तपस्वी अनुभव भी मानी जाती है। समुद्र तल से लगभग 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर वर्ष में केवल छह महीने तक ही खुला रहता है।
मंदिर के कपाट छह महीने के लिए खुले रहते हैं और इस दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इन धामों के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पिछले साल करीब 48 लाख श्रद्धालु हिमालयी धामों में पहुंचे और भगवान केदारनाथ की गद्दी को ऊखीमठ में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
चारधाम यात्रा की शुरुआत के साथ केदारनाथ धाम एक बार फिर श्रद्धालुओं से भरने लगा है। इस वर्ष यात्रा के लिए लाखों श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा, स्वास्थ्य, ठहराव और आपातकालीन सेवाओं के लिए व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं ताकि तीर्थयात्रियों को कोई असुविधा न हो।

केदारनाथ की यात्रा हर श्रद्धालु के लिए एक आध्यात्मिक जागरण का अवसर है। बर्फ से ढके पहाड़, मंदाकिनी नदी की कलकल ध्वनि और मंदिर की दिव्यता, मन को गहराई से छूती है। यहां आकर हर यात्री केवल दर्शन नहीं करता, वह आत्मा से जुड़ने का प्रयास करता है।
इस प्रकार, कपाट खुलने के साथ ही आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम एक बार फिर जीवंत हो उठा है। बाबा केदार की नगरी सभी श्रद्धालुओं का स्वागत कर रही है — प्रेम, विश्वास और मोक्ष की खोज में रत पथिकों का।
