संस्मरण: युद्ध की आहट से भारत-पाक युद्ध के समय की यादें

डॉ. अतुल शर्मा

सिविल डिफेंस के अंतर्गत मैं सैक्टर वार्डन बनाया गया। रात को हमारी ड्यूटी लगती। हमें एक सीटी दी गयी थी।
हम लोगों को कहते कि घरों की लाइट बंद कर दें। खिड़कियों और रोशनदान कर काला कपड़ा या कागज लगाये।

हमें एक टीम के साथ रात भर हवाई हमले से बचने के लिए लोगों को बताते रहना था। पोस्ट वार्डन अवीनन्दा थे।
सिविल डिफेंस के ट्रेनिंग हुई थी। इनका दफ्तर उस समय सुभाष रोड पर हुआ करता था। वहीं होमगार्ड ऑफिस भी था। उस समय सिविल डिफेंस ऑफिस में योगम्बर सिंह तैनात थे।

हमें खाई खोदना भी बताया गया कि, अगर बमबारी अगर होती है तो उसमें छुपा जा सकता है। हमें बताया गया था कि ऐसे समय में औंधे लेट कर कोहनी का सहारा लिया जाना चाहिए और कान बंद कर लेने चाहिये।

साइरन बजने पर शहर भर में ट्रेनिंग होती। अलग-अलग वार्ड बनाये गये थे। युद्ध के बाद हमें एक मैडल भी मिला था और प्रशंसा पत्र भी। नागरिकों के लिए यह कर्तव्य निभाने का समय था।

https://regionalreporter.in/indias-decisive-military-action-against-terrorism-in-operation-sindoor/
https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=LagFjds3TWWkrtv1

Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: