ऊखीमठ: देवभूमि उत्तराखंड में स्थित तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए जैसे ही खोले गए, पूरे क्षेत्र में एक नई ऊर्जा और रौनक लौट आई है।
हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु तुंगनाथ धाम पहुंचकर भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। इस पवित्र यात्रा ने न केवल तीर्थ यात्रियों के मन को आस्था से भर दिया है, बल्कि क्षेत्रीय व्यापारियों और स्थानीय लोगों के चेहरों पर भी मुस्कान लौटा दी है।
तुंगनाथ यात्रा मार्ग के पड़ावों, विशेष रूप से चोपता से तुंगनाथ तक के पैदल मार्ग पर, पर्यटकों और श्रद्धालुओं की चहल-पहल से जीवन लौट आया है। रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण मखमली बुग्यालों की हरियाली और खिलते फूलों ने तुंगनाथ घाटी के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगा दिए हैं।
प्रकृति की इस छटा को निहारते हुए श्रद्धालु चंद्रशिला की चोटी तक पहुँचते हैं और तुंगनाथ घाटी के अद्वितीय दृश्य का आनंद लेते हुए आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं।

बीते शुक्रवार को जब कपाट खुले, तो करीब 1600 से अधिक श्रद्धालु इस पावन क्षण के साक्षी बने। तब से प्रतिदिन यहां तीर्थ यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे चोपता, तुंगनाथ और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को बल मिला है।
तुंगनाथ धाम के प्रबंधक बलवीर नेगी के अनुसार, “धाम की यात्रा धीरे-धीरे गति पकड़ रही है। श्रद्धालु पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के साथ-साथ चंद्रशिला की यात्रा भी कर रहे हैं, जिससे उन्हें अध्यात्म और प्रकृति दोनों का दिव्य अनुभव मिल रहा है।
वहीं स्थानीय व्यापारी बिक्रम सिंह भण्डारी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही से व्यापार में भी धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है।

श्रद्धालुओं ने अनुभव किए साझा
- निखिल (जनकपुरी, दिल्ली): “चोपता-तुंगनाथ मार्ग के दोनों ओर फैले मखमली बुग्यालों की हरियाली मन मोह लेती है। यह दृश्य जीवन भर याद रहेगा।”
- दीपक (भिवाड़ी, राजस्थान): “तुंगनाथ धाम में पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए हर वर्ष आने का मन करता है।”
- अनामिका (आगरा): “यह घाटी प्रकृति का अनुपम उपहार है। यहाँ हर कदम पर शांति और सौंदर्य की अनुभूति होती है।”
- जूही (उज्जैन): “यहाँ आकर पूजा करने से बड़ा शगुन प्राप्त होता है। हर साल लाखों तीर्थ यात्री यही पुण्य लाभ लेने आते हैं।”
