CPCB रिपोर्ट: गंगा-यमुना के संगम का पानी नहाने लायक नहीं

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी तो लगा रहे हैं, लेकिन पानी की गुणवत्ता चिंता बढ़ा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा और यमुना का पानी नहाने के लायक नहीं है।

विस्तार

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अबतक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने तीन पवित्र नदियों के संगम में डुबकी लगाई है। महाकुंभ का मेला 26 फरवरी तक चलेगा।

ऐसे में उम्मीद है कि उस समय संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या 60 करोड़ को पार कर जाएगी। इस बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी नहाने के योग्य नहीं है।

बोर्ड का कहना है कि प्रयागराज में दोनों नदियों का पानी नहाने के पानी के बुनियादी शर्तों को भी पूरा नहीं करता है।

CPCB ने 3 फरवरी को एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें महाकुंभ मेले के दौरान संगम में ‘फेकल कोलीफॉर्म’ नाम का बैक्टीरिया के स्तर में बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं।

NGT ने संगम में इस बैक्टीरिया का लेवल बढ़ने पर चिंता जताई है।खासतौर पर संगम के पास  गंगा-यमुना में कई जगह पर इस बैक्टीरिया का लेवल बढ़ा पाया गया, जिसकी बढ़ोतरी शाही स्नान के दिनों में ज्यादा देखने को मिली है। 

NGT ने यूपी सरकार को लगाई फटकार

इस रिपोर्ट के बाद, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को फटकार लगाई। पहले ही आदेश दिया गया था कि जल प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर एक पूरी रिपोर्ट दी जाए, लेकिन UPPCB सिर्फ बहानेबाज़ी करता रहा और आधी-अधूरी रिपोर्ट सौंप दी।

NGT ने सख्त रुख अपनाते हुए UPPCB के सदस्य सचिव और जल गुणवत्ता से जुड़े सभी अधिकारियों को 19 फरवरी को वर्चुअली पेश होने का आदेश दिया।

क्या होता है फीकल कोलीफॉर्म

सीपीसीबी के मुताबिक, किसी पानी में फीकल (मल) कोलीफॉर्म की स्वीकार्य मात्रा 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट हैं। इससे अधिक पाए जाने पर पानी को प्रदूषित माना जाता है।

मल कोलीफार्म बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों का एक समूह है। पानी में उनकी मौजूदगी पानी में सीवेज या पशु अपशिष्ट से प्रदूषण का संकेत है।

सभी कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं। अगर किसी पानी में मल कोलीफॉर्म पाया जाता है तो उसमें वायरस, साल्मोनेला और ई कोलाई जैसे खतरनाक पैथोजन की मौजूदगी की आशंका बढ़ जाती है। 

रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सीपीसीबी ने नौ से 21 जनवरी के बीच प्रयागराज में अलग-अलग जगह पर गंगा-यमुना के 73 सैंपल जमा किए।

इन सैंपलों की छह मानकों पर जांच की गई। इन मानकों में पानी का पीएच वैल्यू, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्वड ऑक्सीजन।

जितने भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं, उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। वहीं बाकी के पांच मानकों पर पानी की गुणवत्ता मानक के मुताबिक मिली। 

https://regionalreporter.in/banned-drugs-used-for-drug-abuse-seized/
https://youtu.be/jkIQC6t9hr8?si=0bvLEcYbopodoiXw
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