मजदूर योजना में काम ठप, मुख्यमंत्री से मजदूरों की मांग
गुरूवार, 27 फरवरी को मुख्यमंत्री आवास पर विभिन्न क्षेत्रों से आए शिष्टमंडल ने जन संपर्क अधिकारी हरीश कोठारी से मिल कर इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की कि, चार महीने से निर्माण मजदूर योजना में पंजीकरण बंद है। इसके अतिरिक्त मजदूरों को छात्रवृत्ति एवं पेंशन नहीं मिल पा रही है।
विधान सभा में पेश हुई CAG रिपोर्ट ने भी इस बात को बताया कि, राज्य में अधिकांश असली मजदूर पंजीकृत नहीं है और जो पंजीकृत हैं, उनको उनके हक नहीं मिल पा रहे हैं। यहां तक कि एक भी मजदूर को आज तक पेंशन नहीं मिल पाई है।
श्रम मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री कल्याण बोर्ड को निर्देशित करें कि, वह जल्द से जल्द पंजीकरण को शुरू कर और सरकार इन खामियों को सुधारने के लिए कार्यवाही करें।
अधिकारी ने आश्वासन दिया कि इन समस्याओं को लेकर उचित कार्यवाही की जाएगी।
सृष्टि मंडल में उत्तराखंड नव निर्माण मजदूर संघ और चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, विनोद बड़ौनी, राजेंद्र शाह, सुनीता देवी, जनतुल, पप्पू कुमार, मुमताज, फरहीन और अन्य लोग शामिल रहे।

जारी विज्ञापन में कहा गया है कि, हम देहरादून के अलग अलग क्षेत्रों के दिहाड़ी एवं निर्माण मज़दूर हैं। हम मज़दूर और ख़ास तौर पर महिला मज़दूर बेहद वंचित एवं शोषित हैं और कोरोना महामारी के बाद हमारी स्थिति बद से बदतर होती रही है।
इस स्थिति में उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की और से दिए जा रहे सहयोग हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। लेकिन इस योजना में कुछ गंभीर खामियां हैं जिनको हम आपके संज्ञान में लाना चाह रहे हैं:
- बीते लगभग चार महीने से यानी अक्टूबर से किसी भी मज़दूर का पंजीकरण नहीं हो पाया है। अधिकारीयों एवं कर्मचारियों का कहना है कि उनका कंप्यूटर सर्वर डाउन है, लेकिन चार महीने से एक कंप्यूटर सिस्टम कैसे डाउन रह सकता है? महोदय, अभी भी उत्तराखंड में अधिकांश असली निर्माण मज़दूरों का पंजीकरण नहीं हुआ है। हाल में सार्वजनिक हुआ CAG का रिपोर्ट भी इस बात को दर्शाती है। तो इस स्थिति में हमारी आपसे निवेदन है कि पंजीकरण को तुरंत खोला जाये।
- महोदय, कानून और योजना के अनुसार हमारे बच्चों को छात्रवृत्ति मिलनी चाहिए, लेकिन असली मज़दूरों को यह लाभ नहीं मिल पा रही है। इसका रकम इतना कम रखा गया है कि अगर उसको लेने के लिए मज़दूरों को छुट्टी लेनी पड़ेगी, तो कुल मिला कर उनको लाभ से ज्यादा नुक्सान होगा। तो हमारा निवेदन है कि ऐसे एक व्यवस्था बनाया जाए जिससे मज़दूर स्थानीय CSC द्वारा अपना हक़ ले पाए ताकि उनको छुट्टी लेने की ज़रूरत न पड़े।
- महोदय, उत्तराखंड में आज तक एक भी मज़दूर को पेंशन की सुविधा नहीं दी गयी है। यह इसलिए हो रहा है क्योंकि एक बेज़रूरत शर्त डाला गया है कि सिर्फ उन मज़दूरों को पेंशन दिया जा सकता है जो दस साल से पंजीकृत है। महोदय, इस योजना का सही अमल उत्तराखंड में 2014 – 2015 से ही शुरू हुआ है, और बीच में 2017 से 2019 तक पंजीकरण का नवीनीकरण भी नहीं हो पाया। तो इस शर्त को लगाने से सारे पंजीकृत मज़दूर इस ज़रूरी सहयोग से वंचित हो रहे हैं। हमारा निवेदन है कि इस शर्त को हटाया जाये और जो भी पंजीकृत हैं और जिनकी उम्र साठ वर्ष से ज्यादा हो, उनको पेंशन दिया जाये।
अतः हमारी विश्वास है कि उपरोक्त ज़रूरी मुद्दों पर सरकार जल्द से जल्द कार्यवाही करेगी और ख़ास तौर पर मज़दूरों का पंजीकरण को फिर खुलवाने के लिए तुरंत कदम उठाया जायेगा।
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