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ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना का कायापलट

ड्रोन वॉरफेयर से लेकर नई कमांडो यूनिट्स तक बड़ा बदलाव

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भारत की जंग की तैयारी अब 2 कदम आगे — इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद किया बड़ा बदलाव। ड्रोन वॉरफेयर से लेकर नई इंटीग्रेटेड ब्रिगेड्स और कमांडो यूनिट्स तक, हर मोर्चे पर आधुनिक रणनीति अपनाई जा रही है।

विस्तार

ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना की रणनीति में बड़ा मोड़ ला दिया है। आधुनिक वॉरफेयर को देखते हुए अब सेना की हर यूनिट में एक समर्पित ड्रोन प्लाटून होगी, जो ड्रोन और काउंटर-ड्रोन मिशन संभालेगी। इसके साथ ही नई इंटीग्रेटेड ब्रिगेड्स और कमांडो यूनिट्स को भी शामिल किया जा रहा है।

हर यूनिट में ड्रोन विशेषज्ञ

अब इन्फैंट्री से लेकर आर्टिलरी तक हर यूनिट में ड्रोन को स्थायी हथियार के रूप में शामिल किया जाएगा। 30-32 सैनिकों की विशेष ड्रोन प्लाटून बनाई जाएगी, जिन्हें ड्रोन संचालन और काउंटर-ड्रोन तकनीक की उन्नत ट्रेनिंग दी जाएगी। लक्ष्य है—हर सैनिक ड्रोन वॉरफेयर में सक्षम हो।

भैरव कमांडो और रूद्र ब्रिगेड की तैनाती

तेज़ और घातक कार्रवाई के लिए सेना ‘भैरव कमांडो’ बटालियन खड़ी कर रही है। 30 बटालियनों में हर एक में लगभग 250 प्रशिक्षित कमांडो होंगे। वहीं ‘रूद्र ब्रिगेड’ एक मिश्रित यूनिट होगी जिसमें इन्फैंट्री, आर्मर्ड और आर्टिलरी—तीनों के विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो हर तरह के हथियार और तकनीक से लैस रहेंगे।

तोपखाने में ‘दिव्यास्त्र’ का आगमन

आर्टिलरी रेजिमेंट में अब लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली ‘दिव्यास्त्र बैटरियां’ जोड़ी जाएंगी। इन बैटरियों में उन्नत तोपों के साथ लोइटरिंग म्यूनिशन (सुसाइड ड्रोन) और टारगेट ट्रैकिंग के लिए निगरानी ड्रोन भी होंगे।

EME रेजिमेंट में भी नई तकनीक जोड़ी जा रही है। सुरंग पहचान, रेकॉन्नेसेंस और इलाके की 3D मैपिंग के लिए हर कंपनी में एक ड्रोन यूनिट स्थापित की जाएगी।

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