पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात व हिमालय में सबसे ऊंचाई पर विराजमान भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मन्दिर से कैलाश के लिए रवाना हो गयी है।
देर सांय भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंची। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के आगमन पर स्थानीय व्यापारियों व देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने डोली का पुष्प-अक्षत्रो से भव्य स्वागत किया।
भूतनाथ मन्दिर से डोली के कैलाश रवाना होने पर महिलाओं ने मांगल गीतों व भक्तों ने बाबा शंकर के उदघोषों से अगुआई कर रहे है।

सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते अपने धाम पहुंचेंगे बाबा तुंगनाथ
शुक्रवार, 02 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर विभिन्न सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए तुंगनाथ धाम पहुंचेगी तथा भगवान तुंगनाथ के कपाट वेद ऋचाओं के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगें।
गुरूवार, 01 मई को भूतनाथ मन्दिर मक्कूमठ में ब्रह्म बेला पर विद्धान आचार्यों ने पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजाये समपन्न कर भगवान तुंगनाथ सहित तैतीस कोटी देवी – देवताओं का आह्वान किया।
ठीक 10 बजे भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी तथा भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने भूतनाथ मन्दिर की तीन परिक्रमा कर कैलाश के लिए रवाना हुई।
भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर भक्तों ने पुष्प, अक्षत्रों से अगुवाई की तथा लाल – पीले वस्त्र अर्पित कर विश्व समृद्धि की कामना की।
भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने खेत-खलिहानों में नृत्य कर गाँव-गाँव पहुंची। जहाँ पर ग्रामीणों ने परम्परानुसार अर्घ्य अर्पित कर क्षेत्र के खुशहाली की कामना की।
भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के चिलियाखोड़, पगेर, बनियाकुण्ड व चोपता यात्रा पड़ावों पर पहुंचने पर स्थानीय व्यापारियों व देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया।
शुक्रवार को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट विधि – विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जायेगे।
इस मौके पर मठापति राम प्रसाद मैठाणी, प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी, विनोद मैठाणी, विजय भारत मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, अतुल मैठाणी, चन्द्र प्रकाश मैठाणी, मुकेश मैठाणी, दीपक बमोला, राम सिंह राणा, चन्द्र मोहन बजवाल सहित विभिन्न गांवों के सैकड़ो श्रद्धालु, हक-हकूकधारी व पंच पुरोहित मौजूद थे।
