इस वर्ष करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, चल विग्रह डोली चोपता के पहले पड़ाव के लिए रवाना
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट गुरुवार को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
सुबह विशेष पूजा और हवन के बाद ठीक 11:30 बजे मंदिर को अगले कई महीनों के लिए सील कर दिया गया। कपाट बंद होने के साथ ही भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन प्रवास की यात्रा पर निकल पड़ी।
सुबह धाम खुलते ही श्रद्धालुओं ने दर्शन किए और मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना का क्रम शुरू हुआ। बीकेटीसी अधिकारियों की मौजूदगी में भोग, यज्ञ और धार्मिक विधियों के बाद स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप प्रदान किया गया। इसके बाद कपाट औपचारिक रूप से बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने के बाद मंदिर परिसर में चल विग्रह डोली की परिक्रमा कराई गई। ढोल-दमाऊ की ध्वनि और जयघोषों के बीच डोली चोपता के लिए रवाना हुई।
डोली शुक्रवार को भनकुन पहुंचेगी और शनिवार 8 नवंबर को मक्कूमठ स्थित श्री मर्कटेश्वर मंदिर में विराजमान होगी, जहां शीतकालीन पूजा की व्यवस्था रहेगी।
मंदिर समिति के अनुसार इस यात्रा सीजन में लगभग डेढ़ लाख श्रद्धालु तुंगनाथ धाम पहुंचे। बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि शीतकालीन पूजा-व्यवस्था को व्यवस्थित रूप से संचालित किया जाएगा।
ध्यान रहे कि इससे पहले गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट भी बंद किए जा चुके हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट 25 वंबर को बंद होंगे।












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